नई दिल्ली, । 1 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन सीओपी 26 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल कर लेगा।
चीन व अमेरिका के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जक है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
भारत की तुलना में अमेरिका व चीन काफी पहले इस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं।
चीन ने कहा है कि वह 2060 तक इसे हासिल करने की योजना बना रहा है और अमेरिका यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ 2050 तक ऐसा करने का लक्ष्य रखता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एक उचित रोडमैप बनाना होगा। बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने से पहले इस लक्ष्य को प्राप्त करना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा भारत को इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए धन के साथ आवश्यक तकनीक की भी जरूरत होगी।
एक अध्ययन के अनुसार शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसी वर्ष से 10 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।
शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंच जाता है, तो इसके लाभ और भी अधिक होंगे।