Sunday, May 5, 2024

झारखंड गवर्नर की ‘अति सक्रियता’ पर झामुमो की चढ़ी त्योरियां, खुले टकराव के मोर्चे

रांची। झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी और राजभवन के बीच तनाव-टकराव एक बार फिर सतह पर आता दिख रहा है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन राज्य के कोने-कोने का दौरा कर रहे हैं। वह ग्रामीणों और विभिन्न समुदायों के लोगों से लगातार सीधा संवाद कर रहे हैं। उनकी यह “अति सक्रियता” राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन, खास तौर पर इस गठबंधन की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा को नागवार गुजर रही है।

पार्टी ने उनपर सीधे-सीधे भाजपा के इशारे और उसके एजेंडे पर काम करने का आरोप मढ़ दिया है। राज्यपाल ने भले इस आरोप पर खुद अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनकी तरफ से भाजपा की प्रदेश इकाई ने म्यान से अपनी तलवार निकाल ली है।

सीपी राधाकृष्णन झारखंड के 11वें राज्यपाल हैं। बीते 18 फरवरी को शपथ ग्रहण के साथ शुरू हुए उनके कार्यकाल के अभी बमुश्किल साढ़े चार महीने पूरे होने को हैं, लेकिन राजभवन और सरकार के बीच टकराव का सिलसिला कमोबेश पिछले डेढ़ साल से जारी है।

राधाकृष्णन के पहले रमेश बैस का झारखंड के राज्यपाल के तौर पर 19 महीने का कार्यकाल रहा। सीएम हेमंत सोरेन के नाम पर खनन लीज अलॉट किए जाने के मसले पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच तलवारें इस कदर खिंची थीं कि चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक में बहस और सुनवाइयों के कई चैप्टर लिखे गए।

इस बीच धरना-प्रदर्शन, मोर्चाबंदी, डिनर डिप्लोमेसी, रिजॉर्ट पॉलिटिक्स और विधानसभा के विशेष सत्र की कई कड़ियां जुड़ीं। इस तनातनी में सीएम के इस्तीफे से लेकर सरकार की बर्खास्तगी और सड़कों पर आंदोलन तक के संगीन हालात पैदा होते रहे।

फिर एक रोज राज्यपाल रमेश बैस का तबादला महाराष्ट्र हो गया। वह बीते फरवरी का महीना था। उनकी जगह सीपी राधाकृष्णन ने ली। इसके साथ ही लगा कि राजभवन और राज्य सरकार- दोनों संवैधानिक प्रतिष्ठानों के बीच ‘युद्धविराम’ की स्थिति बहाल हो गई है।

लेकिन, पिछले एक हफ्ते में जो हालात पैदा हुए हैं उसमें टकराव के मोर्चे फिर खुलते दिख रहे हैं। सीपी राधाकृष्णन को उनके गृह राज्य में सक्रिय राजनीतिक कार्यकाल के दौरान मीडिया में अक्सर ‘तमिलनाडु का मोदी’ बताया जाता था। किसी राजनेता को राज्यपाल बनाए जाने को प्रायः सक्रिय राजनीति से उसके रिटायरमेंट के रूप में देखा जाता है, लेकिन सीपी राधाकृष्णन से झारखंड की सत्ताधारी पार्टी जेएमएम की नाराजगी की वजह उनकी “सक्रियता” ही है।

जैसे किसी चुनावी अभियान के दौरान निकले सक्रिय राजनेता एक दिन में तीन-तीन, चार-चार कार्यक्रम करते हैं, राज्यपाल राधाकृष्णन ने भी मई-जून में झारखंड के विभिन्न जिलों के कई दौरे उसी अंदाज में पूरे किए हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles