Monday, May 20, 2024
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स्तंभकार तनवीर जाफ़री प्रगतिशील लेखक संघ अंबाला के अध्यक्ष निर्वाचित

वरिष्ठ लेखक एवं स्तंभकार तनवीर जाफरी को अम्बाला ज़िला  प्रगतिशील लेखक संघ (Progressive writers association )का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है। अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्यों की एक बैठक गत दिनों अंबाला छावनी में वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार डॉ रतन सिंह ढिल्लों की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में वर्तमान दौर में प्रगतिशील लेखक संघ को और अधिक सक्रिय व प्रभावी बनाने हेतु संघ की ज़िला इकाई का गठन किया गया। इस बैठक में सर्वसम्मति से वरिष्ठ पत्रकार लेखक व स्तंभकार तनवीर जाफ़री को अम्बाला ज़िला  प्रगतिशील लेखक संघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। जाफ़री के स्तंभ देश विदेश के सैकड़ों पत्र पत्रिकाओं व वेबसाइट्स में प्रकाशित होते रहते हैं। जाफ़री लगातार दो सत्र हरियाणा साहित्य अकादमी शासी परिषद् के सदस्य भी रह चुके हैं। इसी बैठक में डॉक्टर रतन सिंह ढिल्लों को  प्रगतिशील लेखक संघ का संरक्षक,वरिष्ठ पत्रकार डी एन दिवाकर को सलाहकार,लेखिका श्रीमती मीना नवीन को उपाध्यक्ष  वरिष्ठ कवि एवं लेखक श्री कृष्ण सैनी को महासचिव प्रो. डाक्टर गुरदेव सिंह देव को वित्त सचिव एवं डॉ. बलवान औजला को प्रेस सचिव की ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गयीं । प्रोफ़ेसर सोनिका सेठी लेखक जयपाल, मनमोहन सैनी  व कवि लेखक रविंद्र मान एवं बलजीत सिंह को कार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल किया गया।

      ग़ौरतलब है कि बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में स्थापितअखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ देश के प्रगतिशील लेखकों का एक विशाल समूह है। संघ का मक़सद प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना तथा साहित्य को स्वाधीनता आन्दोलन की सशक्त अभ्व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हुये साम्राज्यवादी, अत्याचारी तथा आक्रामक शक्तियों का विरोध करना है। साथ साथ उसे मज़दूरों, किसानों और सम्पूर्ण शोषित व पीड़ित जनता का पक्षधर बनाना भी है। प्रगतिशील साहित्य का उद्देश्य साहित्य व लेखन को जन सामान्य के दुःख-सुख, उनकी इच्छाओं-आकांक्षाओं के अनुरूप इस प्रकार व्यक्त करना है ताकि इससे उनकी क्रन्तिकारी शक्तियों को बल मिले और वह एकजुट और संगठित होकर अपने संघर्ष को सफल बना सकें। पूर्व में देश के सज्जाद ज़हीर,मुंशी प्रेमचंद,जैनेन्द्र,जाँनिसार अख़्तर ,जय प्रकाश नारायण,हसरत मोहानी,यूसुफ़ मेहर अली,अली सरदार जाफ़री,गंगा नाथ झा, जोश मलिहाबादी,शिवदान सिंह चौहान और नरेन्द्र शर्मा,सच्चिदानंदसिन्हा, डॉ॰ अब्दुल हक़, रशीदजहाँ, अब्दुस्सत्तार सिद्दीक़ी ,डॉ॰ अशरफ़ , डॉ॰अब्दुल अलीम,  इंदुलाल याज्ञिक, कमला देवी चट्टोपाध्याय,अहमद अली, रघुपति सहाय फ़िराक़ , और हीरन मुखर्जी जैसे साहित्य जगत के तमाम वरिष्ठ एवं विशिष्ट लोग इस संगठन से जुड़े रहे हैं ।  

निगम आयुक्त ने विद्यार्थियों को दी स्वच्छता की जानकारी

उज्जैन: स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 अन्तर्गत शहर को प्रथम स्थान दिलानें के लिए नगर निगम द्वारा हर संभव प्रयास किये जा रहे है एवं विभिन्न गतिविधियां करते हुए नागरिकों को स्वच्छता सर्वेक्षण की जाकारी दी जा रही है। इसी क्रम में रविवार को उत्कृष्ठ विद्यालय में स्वच्छता की पाठशाला का आयोजन किया गया जिसमें नगर निगम आयुक्त श्री रौशन कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को स्वच्छाता सर्वेक्षण संबंधि जानकारी दी गई।
  निगम आयुक्त श्री रौशन कुमार सिंह द्वारा रविवार को उत्कृष्ठ विद्यालय में स्वच्छता की पाठशाला कार्यक्रम में विद्यार्थियों को स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को स्वच्छता, सेग्रिगेशन, प्रोसेसिंग एवं अन्य विषयों पर मार्गदर्शन करते हुए स्वच्छता संबंधित सवाल पुछे गऐ, सही जबाव देने वाले विद्यार्थियों को पुरूस्कृत भी किया गया, आयुक्त श्री सिंह ने बताया कि हमे अपने घरों को साफ-स्वच्छ रखने के साथ ही घर के बाहर भी स्वच्छता बनाए रखना है, गंदगी नही फैलाना है, घर पर ही गीले एवं सुखे कचरे को पृथक-पृथक एकत्रित करना है तथा निगम द्वारा संचालित कचरा कलेक्शन वाहन में डालना है, गीले कचरे से होम कम्पोंस्टिंग के माध्यम से खाद तैयार की जा सकती है और उसका उपयोग घरों में गमले मे लगे पैड पौधों में किया जा सकता है, थ्रि आर तकनिक का उपयोग कर अनुपयोगी सामग्री से सुन्दर कलाकृतियां बना सकते है, जो सजावट के काम आ सकती है। नगर निगम के यूएमसी सेवा एप की जानकारी देते हुए बताया कि निगम के यूएमसी सेवा एप के माध्य से शिकायत के साथ ही सम्पित्तिकर, जलकर, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाणपत्र जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध है, यूएमसी सेवा एप डाउनलोड कर घर बैठे ही नगर निगम की बहुतसी सुविधाओं का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
 निगम आयुक्त श्री सिंह द्वारा विद्यार्थियों को बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है इसके लिए नागरिकों में जनजागरण किया जा रहा है जिसका परिणाम यह है कि विवाह एवं अन्य समारोह में सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर स्टील के बर्तन, लकड़ी के चम्मच, दोना पत्तल आदि का उपयोग हो रहा है। नगर निगम द्वारा अनुपयोंगी सामग्रियों का पुनः उपयोग करते हुए सुन्दर कलाकृतिया बनाई गई है जिन्हे निगम के उद्यानों, रोटरियों में लगाया गया है। वही शहर की बेक लेन गलियों को साफ एवं स्वच्छ करते हुए उनकी रंगाई पुताई करवाते हुए सुन्दर चित्रकारी करवाई गई जहां पर बच्चे द्वारा मनोरंजन करते हुए विभिन्न खेल गतिविधियां की जा रही है।
निगम आयुक्त श्री सिंह ने विद्यार्थियों से स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में सहयोग करने की अपील करते हुए कहां कि उज्जैन शहर को प्रथम पायदान पर लाने के लिए शहर के नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है इसके लिए आपका सहयोग आवश्यक है, शहर को साफ, स्वच्छ, सुन्दर बनाने में नगर निगम को सहयोग प्रदान करें। नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था को बनाये रखने हेतु जो भी प्रयास किये जा रहे है उसमे नागरिकों का सहयोग भी महत्वपूर्ण है इस हेतु आपको हर कदम स्वच्छता के लिए बढ़ाने की जरुरत है, आपका सहयोग ही शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में उचित पायदान पर ला सकता है।
इस दौरान ज़िला शिक्षा अधिकारी श्री अशोक शर्मा, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य श्री त्रिवेदी एवं स्कूल से समस्त शिक्षक उपस्थित थे।

ईदगाह पर उज्जैन जिला प्रशासन ने पहुंचकर समाज जनों को पर्व की बधाई दी

उज्जैन: शनिवार को ईद उल फितर के अवसर पर इंदिरा नगर स्थित ईदगाह पर जिलाधीश श्री कुमार पुरूषोत्तम, पुलिस अधीक्षक श्री सचीन शर्मा एवं नगर निगम आयुक्त श्री रौशन कुमार सिंह द्वारा प्रशासकीय अमले की उपस्थिति में मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और समाजजनों को ईद की मुबारकबाद दी गई। नगर निगम द्वारा ईद के अवसर पर ईदगाह पर विशेष रुप से सफाई और शामियाने की व्यवस्था की गई।

“बालवीर के आकर्षण और आभा को बनाए रखने के लिए मेरा खुश और सकारात्मक रहना आवश्यक है।” – सोनी सब के बालवीर से देव जोशी उर्फ ​​बालवीर कहते हैं

सोनी सब ने हाल ही में अपनी सबसे प्रसिद्ध सुपरहीरो फ्रेंचाइज़ी बालवीर का तीसरा सीज़न लॉन्च किया। यह सीज़न बालवीर के उत्थान और पतन की यात्रा पर केंद्रित है। यह नया सीज़न परिवार के अनुकूल कंटेंट, उच्च गुणवत्ता वाले विज़ुअल इफेक्ट, और प्रभावशाली स्टंट कार्य पर ध्यान देने के साथ, हर उम्र के दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार किया गया है।
नए सीज़न के बारे में बात करते हुए, देव जोशी ने अपने चरित्र, नए सीज़न की कहानी और दर्शक की उम्मीदों के बारे में बात की।

जैसा कि शो अपने तीसरे सीज़न के साथ वापस आ गया है, आपके अनुसार क्या बालवीर को देश के अन्य सुपरहीरो किरदारों में सबसे अलग बनाता है, और दर्शक उसे इतना प्यार क्यों करते हैं?

बालवीर एक भारतीय सुपरहीरो है और इस शो ने भारत की संस्कृति और आदर्शों से बहुत प्रेरणा ली है। मुझे लगता है कि बालवीर खास है क्योंकि यह हमारी मान्यताओं को आधुनिक दुनिया की तकनीक से जोड़ता है। यह किरदार सच्चाई और न्याय जैसे महत्वपूर्ण आदर्शों को पेश करता है, और जिस तरह से बालवीर बुरे लोगों से लड़ता है वह अन्य शो से अलग है, जो लोगों को असल में पसंद आता है।

दर्शकों को पिछले सीज़न की तुलना में इस सीज़न में बालवीर के किरदार में क्या बदलाव दिख रहा है?

विभिन्न सीज़न्स में विकसित हुए अच्छी तरह से तैयार किए गए किरदार के कारण, बालवीर को अपने प्रशंसकों से बहुत प्यार मिला है। भले ही कथानक और सहायक कलाकार बदल सकते हैं, लेकिन बालवीर की वीरता और गुणों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि दर्शक उसके साथ मजबूती से भावनात्मक रूप से जुड़ गए हैं। सीज़न 3 में, हम नए मोड़ लाने और बालवीर को अभूतपूर्व कठिनाइयों से परिचित कराने को लेकर उत्साहित हैं, जो उसके व्यक्तित्व के नए पहलुओं को उजागर करेगा।

टेलीविज़न पर सुपरहीरो का किरदार निभाने का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू क्या है?

टीवी पर किसी सुपर हीरो के किरदार को निभाने का सबसे कठिन हिस्सा शो को विकसित करना है। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों की एक टीम किसी साझा लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए व्यापक प्रयास करे। बहरहाल, टेलीविजन समर्पित दर्शकों के साथ नियमित रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है, ताकि अपने संदेश और सकारात्मक प्रभाव का उपयोग करके दर्शकों के दैनिक जीवन से सीधे जुड़ा ज सके।

क्या आप बालवीर के सेट पर बिताए गए अपने समय का कोई यादगार अनुभव या पल साझा कर सकते हैं?

मैं एक दशक से ज्यादा समय से इस किरदार को निभा रहा हूं, जिससे मेरे मन में कई लोगों से जुड़ी यादगार यादें हैं। चूंकि मैंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा बालवीर के सेट पर बिताया है, इसलिए यहां मैंने जिन अनमोल पलों का अनुभव किया है, उनकी गिनती करना असंभव है। मुझे बालवीर के रूप में मिले इस अवसर के लिए, मैं हमेशा आभारी रहूंगा, जहां मैंने महत्वपूर्ण पेशेवर और जीवन कौशल सीखे।

बालवीर की भूमिका निभाने से आपके करियर और निजी जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है?

बालवीर के आशावादी व्यक्तित्व ने कई लोगों के जीवन को छुआ है, उन्हें बेहतर इंसान बनाया है। मैं अपनी बात करूं, तो मेरे लिए यह किरदार सिर्फ एक भूमिका निभाने से कहीं अधिक हो गया है। एक अभिनेता के रूप में, इसने मुझे किसी किरदार को निभाने के साथ आने वाली ज़िम्मेदारी को समझने में मदद की है और यह समझने में भी कि कैसे सकारात्मक रहने से दर्शकों पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। मैं जहां भी जाता हूं, वहां लोगों द्वारा मुझे सुपरहीरो के रूप में पहचाने जाने से बहुत संतुष्टि मिलती है, यह महसूस होता है कि मैंने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में छोटी सी भूमिका निभाई है।

क्या आपने शो के इस सीज़न की तैयारी करने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण किया है/कोचिंग ली है या कुछ अलग किया है?

बिल्कुल, बालवीर जैसे किरदार को जीवंत करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। भूमिका की शारीरिक मांगों को पूरा करने के लिए मार्शल आर्ट का नियमित अभ्यास और स्वस्थ आहार महत्वपूर्ण हैं। और बालवीर के आकर्षण और आभा को साकार करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसके लिए मैं सेट पर सकारात्मक, खुश और प्रफुल्लित रहता हूं। मैं शूटिंग के दौरान, पूरी सजगता से एक सकारात्मक मानसिकता विकसित करने का प्रयास करता हूं, जिससे मुझे अपने किरदार को और ज्यादा पूर्णता से अपनाने में मदद मिलती है।

क्या आपके और बालवीर के व्यक्तित्व में कोई समानता है?

एक व्यक्ति के तौर पर, मैं पर्दे पर देव के रूप में अपनी व्यक्तिगत पहचान और बालवीर के अपने किरदार के बीच कई समानताएं रखता हूं। हम दोनों समान रूप से सहज प्रवृत्तियों, विशेषताओं और गुणों को प्रदर्शित करते हैं जो हमारी भूमिकाओं को आपस में जोड़ते हैं। अपने साझा अनुभवों से, देव और बालवीर दोनों ने काफी कुछ सीखा है और उनके बीच ऐसा गहरा संबंध विकसित हुआ है जो स्क्रीन की सीमाओं के परे भी दिखता है। हालांकि मेरे रोजमर्रा के जीवन में बालवीर जैसी अलौकिक क्षमताएं नहीं हैं, फिर भी मैं लोगों के जीवन में खुशी लाने की कोशिश करता हूं, चाहे वह मेरे अभिनय के माध्यम से हो या किसी व्यक्ति के तौर पर दूसरों से जुड़कर ही हो।

आप बालवीर के अपने किरदार के माध्यम से दर्शकों को क्या संदेश देने की उम्मीद करते हैं?

बालवीर समाज में लोगों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण पेश करता है। भले ही हमारे पास उसकी अलौकिक शक्तियां नहीं हो सकती हैं, लेकिन हम उसके साहस, आत्म-विश्वास, अखंडता और दूसरों के प्रति करुणा की खूबियों का अनुकरण करने की कोशिश कर सकते हैं। इंसान होने के नाते, हम सभी महत्वपूर्ण निर्णय करते समय अपने अंदरूनी बालवीर और हमारे भीतर की दुर्भावनापूर्ण शक्ति के बीच संघर्ष का सामना करते हैं। अंततः, हम जो निर्णय लेते हैं उसका हमारे जीवन और हमारे आसपास के लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

और भी एक्शन से भरपूर रोमांच के लिए देखते रहिए बालवीर 3, शनिवार और रविवार, शाम 7:00 बजे सोनी सब पर

ऑनलाइन बुकिंग से अब सीधे पहुंच सकेंगे महाकाल के गर्भगृह में, मई से नई व्यवस्था लागू

उज्जैन । मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए देश-दुनिया से आने वाले भक्त अब बहुत निकट से अपने इष्ट के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए मंदिर प्रशासन व्यवस्थाएं बनाने में जुटा है।

दरअसल, भक्तों की इच्छा बाबा महाकाल के दर्शन नजदीक से ही करने की रहती है। साथ ही उन्हें जल, दूध चढ़ाने और स्पर्श करने की इच्छा लिए भक्त दरबार में पहुंचते हैं। अब तक भस्मारती को छोड़कर ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था से सीधे गर्भगृह में पहुंचने का अवसर भक्तों के पास नहीं था, लेकिन अगले माह मई से भक्त सीधे गर्भगृह में पहुंचकर महाकाल के दर्शन कर पाएंगे। उन्हें जल भी चढ़ा पाएंगे।

महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप कुमार सोनी कहते हैं कि फिलहाल इससे जुड़े तकनीकी पक्ष पर कार्य किया जा रहा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस माह के अंत तक हमारा सॉफ्टवेयर तैयार हो जाएगा और उसके बाद सुबह 6:00 से दोपहर 12:30 बजे तक छह स्लॉट में भक्तों को सीधे गर्भगृह के दर्शन कराना आरंभ होगा।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्लॉट में 50 भक्तों को ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से गर्भगृह में प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है। यदि पूर्व से ऑनलाइन बुकिंग रहेगी, तो उसकी रसीद दिखाने भर से तत्काल उन्हें अंदर गर्भगृह में प्रवेश दिया जाएगा। महाकाल के दर्शन करने का शुल्क 750 से लेकर 1500 तक रखा जा सकता है।

फिलहाल महाकाल परिसर में प्रोटोकॉल कार्यालय पर बने काउंटर से भक्त स्वयं पहुंचकर टिकट लेकर प्रतिदिन सशुल्क गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। कई लोग पहले दिन गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलने की स्थिति में दूसरे दिन रुककर दर्शन करते हैं। अभी प्रतिदिन डेढ़ हजार के लगभग भक्त दर्शन कर पाते हैं। अब मई से ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद कहीं से भी बुकिंग करके सीधे उज्जैन आकर भगवान महाकाल के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। उन्हें किसी लाइन में लगने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

कानून के राज का सम्मान होना चाहिए : कांग्रेस

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नई दिल्ली, । माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई की जघन्य हत्या के बाद कांग्रेस ने रविवार को कहा कि देश के संविधान में कानून के शासन का सम्मान होना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए, लेकिन यह देश के कानून के तहत होनी चाहिए। किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रिया को तोड़ना या उल्लंघन करना हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। जो कोई भी ऐसा करता है, उनको जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन पर कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि न्यायिक प्रणाली और कानून के शासन का हर समय अक्षरश: पालन हो।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की घोषणा की है जो शनिवार रात पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच करेगा।

स्कूल संचालक व प्राचार्य छात्रों को किसी एक दुकान या विक्रेता से पुस्तकें, कापियां, यूनिफार्म खरीदने के लिये मजबूर नहीं कर सकेंगे

उज्जैन । जिले के स्कूल संचालक, प्राचार्य अब छात्रों को किसी एक दुकान या विक्रेता से पुस्तकें, कापियां, यूनिफार्म, जूते, टाई आदि खरीदने के लिये मजबूर नहीं कर सकेंगे। कलेक्टर ने दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144(1)(2) के तहत स्कूल संचालकों, प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिये हैं। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा-188 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। आदेशों की अवहेलना किये जाने पर शाला के प्राचार्य, संचालक के साथ ही शाला प्रबंधन बोर्ड के सभी संचालक भी दोषी माने जायेंगे।

  कलेक्टर द्वारा जारी किये गये आदेश के तहत सभी स्कूल संचालकों एवं प्राचार्य को निर्देश दिये गये हैं कि वे अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व स्कूल की वेब साइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करें व सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करें। साथ ही पुस्तकों की  सूची की एक प्रति अभिभावकों को प्रवेश के समय अथवा परीक्षा परिणाम के समय उपलब्ध करवायें। अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 दिन तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारम्भ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि 1 से 30 अप्रैल तक का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यावहारिक व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में उपयोग किया जा सकता है।

  कलेक्टर ने निर्देश दिये हैं कि सभी स्कूल संचालक जिस नियामक बोर्ड (सीबीएसई, आईसीएसई या माध्यमिक शिक्षा मण्डल) से संबद्ध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा- एनसीआरटी, पाठ्यपुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों, मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे। इसके अतिरिक्त स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों व विद्यार्थियों को अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों व मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने, कापियां, सम्पूर्ण यूनिफार्म आदि सम्बन्धित स्कूल अथवा संस्था या दुकान विक्रेता से क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा।

  जारी किये गये आदेश के अनुसार स्कूल संचालक पालक-शिक्षक संघ अथवा अन्य अवसरों पर सुनिश्चित करेंगे कि निजी प्रकाशक, मुद्रक, विक्रेता स्कूल परिसर के भीतर प्रचार-प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करेंगे। स्कूल संचालकों एवं विक्रेताओं द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित नहीं है, का समावेश सेट में नहीं किया जायेगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी किताबें उपलब्ध हों, तो उसे केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकों को ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। नोटबुक पर ग्रेड, किस्म, साइज, मूल्य, पेज आदि की संख्या स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिये। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे। ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन के द्वारा स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम तीन सत्र तक उसमें परिवर्तन न हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा किसी अन्य आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों को अथवा पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। जिन विषयों के सम्बन्ध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित अथवा मुद्रित नहीं की गई है, उस विषय से सम्बन्धित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो, जिससे लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं।

कच्ची उम्र में बच्चों को पक्की सीख देने वाले संस्थानों की तलाश में रहते हैं पेरेंट्स – ललित सरदाना

इंदौर, 10 अप्रैल 2023: कच्ची उम्र में सिखाई हुई हर एक बात बच्चों को लम्बे समय तक याद रहती है। शिक्षा के मामले में भी ऐसा ही होता है। प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को जिस तरह का ज्ञान और शिक्षा दी जाती है, वह उनके बेहतर भविष्य के लिए नींव का काम करती है। इस बात को तवज्जो देते हुए अक्सर पेरेंट्स विश्वसनीय स्कूलों की तलाश में रहते हैं, ताकि जीवन में उन्हें अपने बच्चों के लिए फिर पीछे पलटकर देखना न पड़े। देवास स्थित जाने-माने संस्थान, सरदाना इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक और शिक्षाविद् ललित सरदाना ने पेरेंट्स की इस चिंता को काफी हद तक हल करने की कोशिश की है, और बताया है कि उनका विद्यालय, सरदाना इंटरनेशनल स्कूल आखिरकार किस तरह से छोटे बच्चों में शिक्षा और संस्कार की अटूट नींव रखने का काम करता है।
सिखाई हुई हर एक बात कंठस्थ
जिस तरह किसी ईमारत की नींव कमजोर हो जाने पर बाहरी तौर पर हम उसमें कितना ही रंग-रोगन करने या मजबूती देने का प्रयास कर लें, उस ईमारत को मजबूती नहीं दी जा सकती। ठीक उसी प्रकार, यदि किसी बच्चे को प्रायमरी लेवल पर बेहतर शिक्षा न मिले, तो बड़ी क्लासेस में कितना ही प्रयास क्यों न कर लिया जाए, बच्चे के सीखने के स्तर को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है। स्कूलों को चाहिए कि बच्चों के बेहतर भविष्य के सृजन के लिए विशेष तौर पर काम करें और कई बार एक पाठ का रिविज़न कराकर उसे बच्चों को कंठस्थ कराएँ।
ताकि पेरेंट्स भी निश्चिन्त रहें
कई बार पेरेंट्स जाने-अनजाने में ऊपरी तौर पर बेहतर प्रतीत होने वाले स्कूलों में बच्चों को प्रवेश तो दिला देते हैं, लेकिन बड़ी कक्षाओं में आने के बाद भी बच्चों में सुनने, पढ़ने, बोलने, लिखने और समझने की क्षमता बेहतर नहीं हो पाती, और न ही उनमें क्रिएटिविटी का विस्तार हो पाता है। बहुत-से बच्चे पढ़ाई और होमवर्क से अपना जी चुराते हुए मोबाइल के साथ समय बिताना अधिक पसंद करते हैं। प्रायमरी लेवल पर पढ़ाने की एप्रोच बड़ी क्लासेस से बहुत भिन्न होती है, इस बात पर भी स्कूलों को ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
स्कूल ऐसा होना चाहिए, जिसमें भेजने के बाद पेरेंट्स की समस्याएँ हल हो सकें। व्यस्त दिनचर्या के चलते पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड नहीं कर पाते हैं। एकेडमिक्स में कमजोर होने, पब्लिक स्पीकिंग में शर्माने या डरने, हैंडराइटिंग खराब होने और संस्कार देने जैसी गतिविधियों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

लॉस कवर करता चले
स्कूलों को बच्चों के होने वाले लॉस को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सेशन के साथ ही साथ पुराने सेशंस के टॉपिक्स भी कवर करते चलना चाहिए। इससे नए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की पिछले वर्ष पढ़ाई ठीक से न होने के कारण हुए नुकसान की भी भरपाई हो जाती है। विद्यार्थियों द्वारा सभी कक्षाएँ अटेंड करना, होमवर्क करना, वर्कशीट्स हल करना, सेशन के सभी टेस्ट्स देना अनिवार्य होना चाहिए, इसमें विद्यालयों का सपोर्ट बहुत जरुरी है। इसके साथ ही पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में दोनों के सपोर्ट से बच्चे की कमियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। बच्चे की रुचियों को देखते हुए स्कूल के भीतर और बाहरी तौर पर हॉबी क्लासेस जॉइन कराना चाहिए, ताकि उसकी पढ़ाई और रूचि बेहतर रूप से बैलेंस रहे।
पर्सनालिटी डेवलपमेंट और कम्युनिकेशन पर विशेष ध्यान
बच्चों के बात करने और उठने-बैठने के तरीके पर ध्यान देना सिर्फ पेरेंट्स की जिम्मेदारी नहीं है, टीचर्स को भी बच्चों के बात करने के लहज़े, भाषा और कम्युनिकेशन स्किल पर काम करने की जरुरत होती है, क्योंकि स्कूल ही वह स्थान है, जहाँ बच्चे में सीखने के कौशल की अधिकता देखी जाती है। छोटी उम्र में बच्चों को भाषा संबंधी सीख देना सबसे अधिक उचित होता है और एक अच्छे वातावरण में बच्चा भाषा का कौशल सरलता से सीख सकता है। इसलिए स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं से ही हिंदी और इंग्लिश कम्युनिकेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही नियमित रूप से बच्चों को शुद्ध लेखन कराने सहित स्पोकन इंग्लिश, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और ग्रुप डिस्कशन की वर्कशॉप लगाई जाना चाहिए। इसके फलस्वरूप बच्चों का पब्लिक के बीच अपनी बात रखने का कॉन्फिडेंस तेजी से निखरता है और स्टेज फियर भी दूर होता है।
स्मार्ट क्लासेस और एक्टिविटीज़ भी चलती रहें
बच्चों की पढ़ाई में दिलचस्पी बनी रहे, इसे ध्यान में रखते हुए स्कूलों में नर्स

लोकसभा से अयोग्य ठहराए जाने के बाद राहुल करेंगे वायनाड का पहला दौरा

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नई दिल्ली, 1 । लोकसभा से अयोग्य घोषित होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड का दौरा करेंगे, जहां वह रोड शो करेंगे।

कांग्रेस उनका भव्य स्वागत करने और शक्ति प्रदर्शन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

दोषसिद्धि पर गांधी की अपील पर सूरत की अदालत में 13 अप्रैल को सुनवाई होगी।

वह जमानत पर है, जिसे गुजरात के सत्र न्यायालय ने बढ़ा दिया था। अदालत इस मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर 13 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

23 मार्च को सूरत की एक निचली अदालत ने उन्हें भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक मामले में पूरे मोदी समुदाय को बदनाम करने का दोषी पाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को बाद में एक नियम के तहत लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

गांधी को उनके अपराध के लिए अधिकतम 2 साल की जेल की सजा दी गई थी, लेकिन आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। यदि दोषसिद्धि को पलटा नहीं जाता है, तो वह अगले आठ वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाएंगे।

देहदान संकल्प पर लॉयन श्रीमती मानिक कर्पे को प्रधान जिला न्यायाधीश श्री वाणी द्वारा सम्मानित किया

उज्जैन। विधिक सेवा प्राधिकरण उज्जैन द्वारा विक्रम कीर्ति मंदिर में आयोजित नेत्रदान व अंगदान जागरूकता शिविर व सामुदायिक मध्यस्थता शिविर के आयोजन में मुख्य अतिथि प्रधान जिला न्यायाधीश श्री वाणीजी ने अपने संबोधन में मध्यस्थता से प्रकरण के निराकरण के महत्त्व को समझाते हुई अंगदान व उसकी उपयोगिता एवं देश में कितनी आवश्यकता हैं कि जानकारी दी।
विशेष न्यायाधीश श्री अशफाक अहमद खान व जिला न्यायाधीश एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अरविन्द जैन द्वारा अंगदान के महत्व व जागरूकता की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए। साथ ही विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने भी अपने संबोधन में महर्षि दधीच का उदाहरण देते हुए प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के माध्यम से भी अंगदान के लिये जागरूकता लाई जा सकती है कि बात कही।
इस अवसर पर लॉयन श्रीमती मानिक कर्पे लायंस क्लब उज्जैन सुरभि की सदस्य को उनके द्वारा अपनी मृत्यु उपरांत अपना देहदान आरडी गारडी मेडिकल कॉलेज को दिए जाने के संकल्प के लिए प्रधान जिला न्यायाधीश श्री वाणी द्वारा सम्मानित किया गया। आयोजन का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी चंद्रेश मंडलोई द्वारा किया गया। जानकारी अजय सिंह ने दी।