Monday, May 6, 2024
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कोविड महामारी के कारण शिशुओं की आंत में कम हुए बैक्टीरिया: अध्ययन

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न्यूयॉर्क, वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि जिन शिशुओं ने जन्‍म के बाद पहला साल कोविड-19 महामारी के दौरान बिताया है, उनकी आंत में पहले पैदा हुए बच्‍चों की तुलना में कम बैक्टीरिया पाए गए हैं.

‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि जिन शिशुओं की आंत के बैक्‍टीरिया का महामारी के दौरान नमूना लिया गया था, उनमें आंत के माइक्रोबायोम की अल्फा विविधता कम थी, जिसका अर्थ है कि आंत में बैक्टीरिया की कम प्रजातियां थीं.

शिशुओं में पाश्चुरैलेसी और हेमोफिलस बैक्टीरिया की कम थे, जो मनुष्यों के भीतर रहते हैं और विभिन्न संक्रमणों का कारण बन सकते हैं.

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि यह परिवर्तन कोविड-19 महामारी के कारण हुए हैं. इसके लिए सामाजिक बदलाव भी जिम्‍मेदार हो सकते हैं. इन बदलावों के पीछे संभावित रूप से घर पर अधिक समय बिताना, डेकेयर में अन्य बच्चों से अलग रखना, साफ-सफाई में इजाफा, बेहतर पर्यावरण, अच्‍छा आहार, स्तनपान और सही देखभाल कारण हो सकते हैं.

शोध पत्र की सह-प्रमुख लेखिका और एनवाईयू स्टीनहार्ट के विकासात्मक मनोविज्ञान कार्यक्रम से हाल ही में डॉक्टरेट स्नातक सारा सी. वोगेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी हमें यह बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए एक दुर्लभ प्राकृतिक प्रयोग प्रदान करती है कि सामाजिक वातावरण शिशु आंत के माइक्रोबायोम को कैसे प्रभावित करता है.

वहीं, यह अध्ययन अनुसंधान के बढ़ते क्षेत्र में योगदान देता है कि शिशु के सामाजिक वातावरण में परिवर्तन आंत के माइक्रोबायोम में परिवर्तन के साथ कैसे जुड़े हो सकते हैं.

अध्ययन के लिए टीम ने न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले 12 महीने के बच्चों के दो सामाजिक, आर्थिक और नस्लीय रूप से विविध समूहों के मल के नमूनों की तुलना की. इनमें महामारी से पहले के 34 शिशुओं के नमूनों की तुलना मार्च 2020 और दिसंबर 2020 के बीच के 20 शिशुओं से की गई.

एनवाईयू स्टीनहार्ट में एसोसिएट प्रोफेसर नताली ब्रिटो ने कहा, “हम जानते हैं कि वयस्कों में आंत में माइक्रोबायोटा प्रजातियों की विविधता में कमी खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है. लेकिन, शैशवावस्था के दौरान आंत के माइक्रोबायोम के विकास और प्रारंभिक देखभाल करने वाला वातावरण उन संबंधों को कैसे आकार दे सकता है, इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है.”

पुलिस कंट्रोल रूम उज्जैन में मनाया गया राखी का त्यौहार

उज्जैन , पुलिस कंट्रोल रूम उज्जैन पर स्थानीय महिलाओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस अधीक्षक उज्जैन श्री सचिन शर्मा की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा और पुलिस अधिकारियों से महिलाओं/बालिकाओं की रक्षा का वचन लिया।
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। यह त्योहार भारतीय भाई-बहनों के लिए एक बहुत ही खास दिन होता है। यह त्यौहार भाई-बहन के एक दूसरे के प्रति स्नेह को दर्शाता है। ऐसे में पुलिस विभाग में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी ड्यूटी कर हमेशा लोगों की सुरक्षा में जुटे रहते हैं, उनकी कलाई सूनी कैसी रह सकती है। इसी क्रम में महिलाओं/बहनों द्वारा राखियां बांधी गई व अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु होने की कामना की गई। इस पर पुलिस अधीक्षक द्वारा महिलाओं का आभार व्यक्त करते हुए सभी महिलाओं और बहनों को रक्षा हेतु आश्वासन दिया गया।

जन धन योजना ने वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी: सीतारमण 

नई दिल्ली, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है.

योजना के 9 साल पूरे होने के अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ”पीएमजेडीवाई के नेतृत्व वाले 9 सालों के हस्तक्षेप और डिजिटल परिवर्तन ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है. यह जानकर खुशी हो रही है कि जन धन खाते खोलकर 50 करोड़ से अधिक लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाया गया है.”

इनमें से लगभग 55.5 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं.

वित्त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा, इन खातों में लगभग 34 करोड़ रुपे कार्ड बिना किसी शुल्क के जारी किए गए हैं, जो 2 लाख रुपये के दुर्घटना बीमा कवर का भी प्रावधान करता है.

सीतारमण ने कहा, “हितधारकों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के सहयोगात्मक प्रयासों से, पीएमजेडीवाई देश में वित्तीय समावेशन के परिदृश्य को बदलने वाली एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आई है.”

पीएमजेडीवाई खातों के तहत कुल जमा शेष राशि 2,03,505 करोड़ रुपये है.

पीएमजेडीवाई खाते मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से 3.4 गुना बढ़कर 16 अगस्त तक 50.09 करोड़ हो गए हैं.

माधवन ने ‘द वैक्सीन वॉर’ की जमकर की तारीफ

मुंबई, एक्टर आर. माधवन ने ‘द वैक्सीन वॉर’ देखी और ऐसी फिल्म बनाने के लिए फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की सराहना की और उन्हें “मास्टर स्टोरीटेलर” करार दिया.

माधवन ने इंस्टाग्राम पर फिल्म का एक पोस्टर शेयर किया, जिसमें पूरी कास्ट और निर्देशक नजर आ रहे हैं.

उन्होंने लिखा: “अभी-अभी ‘द वैक्सीन वॉर’ देखी और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के बलिदानों और शानदार उपलब्धियों को देखकर मैं हैरान रह गया, जिन्होंने भारत का पहला वैक्सीन बनाया और सबसे चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान देश को सुरक्षित रखा. मास्टर स्टोरीटेलर विवेक अग्निहोत्री द्वारा कही गई यह कहानी आपको एक ही समय में खुश करने, तालियां बजाने, रोने और उत्साह से भर देती है. ”

इसके बाद माधवन ने कलाकारों की जमकर तारीफ की.

”पूरे टीम का शानदार परफॉर्मेंस हमारे भारतीय वैज्ञानिकों (महिलाओं) के बलिदान और धैर्य को बहुत ही खूबसूरती से और प्रभावशाली तरीके से दर्शाता है.”

फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ कथित तौर पर भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और चिकित्सा विभाग द्वारा वैश्विक संकट से उबरने के लिए किए गए प्रयासों पर आधारित है.

यह 28 सितंबर को रिलीज होने वाली है.

भारत बहुत जल्द टॉप-3 अर्थव्यवस्था में होगा शामिल: पीएम

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नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रोजगार मेले के तहत सरकारी विभाग और संगठनों में नवनियुक्त भर्तियों को 51,000 से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित किए. युवाओं को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि भारत बहुत जल्द टॉप-3 अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगा.

उन्होंने कहा, “भारत इस दशक में दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा. जब मैं गारंटी देता हूं तो मैं इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाता भी हूं.”

9 साल पहले आज ही के दिन शुरू की गई जन धन योजना की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने आज ही के दिन नौ साल पहले जन धन योजना शुरू की थी. वित्तीय लाभ के अलावा, इस योजना ने रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.”

“खाद्य से लेकर फार्मा तक, अंतरिक्ष से लेकर स्टार्टअप तक, किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सभी क्षेत्रों का विकास करना आवश्यक है. फार्मा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और यह आने वाले दिनों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगा. ऑटोमोबाइल उद्योग भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है. आने वाले दिनों में ये दोनों इंडस्ट्री और भी विकसित होने वाली हैं.”

“2030 तक पर्यटन क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान होने की संभावना है. यह 13-14 करोड़ नई नौकरियां पैदा कर सकता है.”

मोदी ने कहा कि युवाओं के लिए नए रास्ते खोलने के लिए अर्धसैनिक बलों की भर्ती प्रक्रिया में भी कई बदलाव किए गए हैं.

मोदी ने कहा, “इन दिनों फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के महत्व पर बहुत चर्चा हो रही है. भारत का फूड प्रोसेसिंग मार्केट पिछले साल 26 लाख करोड़ रुपये का था. अगले तीन सालों में यह क्षेत्र 35 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा.”

उन्होंने आगे कहा कि देश मोबाइल फोन के साथ-साथ अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर भी फोकस कर रहा है.

प्रधान मंत्री ने बताया, “हम आईटी हार्डवेयर उत्पादन क्षेत्र में वही सफलता दोहराने वाले हैं जैसे हमने मोबाइल फोन क्षेत्र में हासिल की थी.

रॉबर्टो मैनसिनी बने सऊदी अरब फुटबॉल टीम के नए मुख्य कोच

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रियाद, . सऊदी अरब ने अपनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम का मुख्य कोच रॉबर्टो मैनसिनी को नियुक्त किया है. सऊदी अरब फुटबॉल महासंघ ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया है कि 58 वर्षीय ने चार साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी कीमत 25 मिलियन यूरो प्रति वर्ष है.

मैनसिनी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मैं राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच के रूप में सऊदी अरब फुटबॉल महासंघ में शामिल हो रहा हूं.”

उन्होंने आगे कहा, “इतनी प्रतिष्ठित भूमिका के लिए चुने जाने पर मुझे खुशी और सम्मान महसूस हो रहा है, जो इन वर्षों के दौरान किए गए सभी कार्यों की सराहना और मान्यता का प्रतीक है. मैं राष्ट्रपति यासिर अल-मिसेहाल को धन्यवाद देना चाहता हूं.”

लाजियो, इंटर मिलान, मैनचेस्टर सिटी और कई अन्य क्लबों को प्रशिक्षित करने के बाद, मैनसिनी ने 2018 में अज़ुर्री की कमान संभाली और उन्हें यूरो 2020 चैंपियनशिप जीतने में मदद की. लेकिन इटली 2022 फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहा.

मैनसिनी सितंबर में डेब्यू करेंगे और 2026 विश्व कप क्वालीफायर और कतर एशियाई कप में भाग लेने के लिए सऊदी अरब का नेतृत्व करेंगे.

500 रुपये में गैस सिलेंडर देकर गहलोत ने दी महंगाई से राहत

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जयपुर, ऐसे समय में जब लोग महंगाई से जूझ रहे हैं और दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है, राजस्थान सरकार ने 500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराकर लोगों को काफी राहत दी है.

राजस्थान 500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने वाला देश का एकमात्र राज्य बन गया है

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू होने के बाद से घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत दोगुनी से अधिक हो गई है.

परिणामस्वरूप, लाभार्थी परिवारों को हर महीने अपना सिलेंडर दोबारा भरवाने में कठिनाई हो रही है. लेकिन राजस्थान सरकार ने एक बहुत ही अलग मॉडल पेश किया है, जो पूरे राज्य और देश भर में चर्चा का विषय बन गया है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार का रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये में करने का बड़ा वादा था, जो हाल ही में लागू हुआ, राजस्थान में विधानसभा चुनाव से बमुश्किल छह महीने पहले. इस कदम को राज्य की महिलाओं ने खूब सराहा, जो भाजपा का समर्थन करने के लिए जानी जाती थीं, खासकर पीएमयूवाई शुरू होने के बाद लोकसभा चुनावों के दौरान.

यह देश में दी जाने वाली सबसे बड़ी रसोई गैस सब्सिडी है.

यह पहला बड़ा वादा अशोक गहलोत सरकार ने पिछले साल दिसंबर में किया था. इसके तुरंत बाद अगला कदम उठाया गया, हर परिवार को 100 यूनिट मुफ्त बिजली. फरवरी में, सरकार ने अपनी प्रमुख स्वास्थ्य योजना चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की कवरेज राशि को प्रति परिवार 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की भी घोषणा की.

“राजस्थान सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, महिला सशक्तिकरण और रोजगार सहित हर क्षेत्र में देश का एक मॉडल राज्य बन गया है. राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जिसने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 25 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज और 10 लाख रुपये के दुर्घटना बीमा, मुफ्त दवाओं और जांच सुविधाओं सहित कानून बनाकर स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान किया है.

“राज्य में आईआईटी, आईआईएम, एनआईएफटी जैसे विश्व स्तरीय संस्थान खुले हैं. दुधारू पशुओं का बीमा, अन्नपूर्णा आहार किट, मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत कमजोर वर्गों को 125 दिन की रोजगार गारंटी दी जा रही है.” उन्होंने कहा, ”राज्य में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हुआ है.”

घरेलू गैस वितरक संग के प्रतिन‍िधिमंडल से बात करते हुए गहलोत ने कहा, ”हम ‘राजस्थान मिशन-2030′ में 1 करोड़ लोगों से सुझाव और सलाह ले रहे हैं.’ उन्होंने एलपीजी गैस वितरकों से मिशन-2030 में अपने सुझाव भेजने को कहा.

कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह ने गैस सिलेंडर वितरकों से संबंधित विभिन्न विषयों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया. संघ के सदस्यों ने पात्र लोगों को 500 रुपये में सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया.

इस बीच, सीएम ने पहले कहा, ”हम बचत और राहत के बारे में बात कर रहे हैं. यह हमारे बजट का विषय था और हम लोगों को राहत दे रहे हैं, ”मुख्यमंत्री गहलोत ने योजना शुरू करने के लिए एक कार्यक्रम में कहा.

उन्होंने कहा, “यह सामाजिक सुरक्षा है, इस तरह की योजनाएं और स्वास्थ्य का अधिकार सभी देशवासियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए.”

500 रुपये की एलपीजी योजना केवल उन परिवारों के लिए है, जो राजस्थान में बीपीएल श्रेणी में हैं या केंद्र की उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी गैस सिलेंडर लेते हैं. राजस्थान सरकार ऐसे ग्राहकों को 500 रुपये में यह सिलेंडर उपलब्ध कराएगी.

फिलहाल राजस्थान में आम तौर पर एक सिलेंडर 1050 रुपये के आसपास मिलता है.

अधिकारियों के अनुसार, “राजस्थान में 70 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को उज्ज्वला योजना के तहत 850 रुपये प्रति सिलेंडर की दर से सिलेंडर मिला. उज्ज्वला उपभोक्ताओं को केंद्र से 200 रुपये की सब्सिडी मिलती है. राजस्थान में बीपीएल श्रेणी में 6 लाख उपभोक्ता पंजीकृत हैं.

इस प्रकार, राजस्थान में बीपीएल श्रेणी के 6 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को सामान्य दर 1050 रुपये प्रति सिलेंडर पर गैस मिलती है. उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत 200 रुपये की सब्सिडी भी नहीं मिलती है” अधिकारियों ने कहा.

राजस्थान के खाद्य विभाग और केंद्र के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का मानना है कि राजस्थान में औसतन 3 से 4 लोगों का परिवार एक सिलेंडर का इस्तेमाल करता है.

ऐसे में जब राजस्थान सरकार इन 70 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को सस्ता सिलेंडर देगी तो इसका सीधा असर करीब 2.25 करोड़ लोगों पर पड़ेगा.

इससे पहले राज्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार उन सभी लोगों को लाभ देना चाहती है, जिन्हें उज्ज्वला के नाम पर ठगा गया है.

सरकार की इस योजना से 70 लाख उपभोक्‍ताओं को लाभ मिलेगा और सरकार पर 33 सौ करोड़ रुपयों का भार पड़ेेेेगा. सरकार इस पांच सौ रुपयेे की दर से हर साल 12 सिलेंडर उपलब्‍ध कराएगी.

लायल्स ने बोल्ट की ‘डबल’ उपलब्धि को दोहराया

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बुडापेस्ट, 26 अगस्त . युलिमार रोजस और हारुका कितागुची दोनों ने अपने अंतिम प्रयासों के साथ विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीत हासिल की, जबकि नोआ लायल्स ने यहां अपने 100 मीटर के ताज में 200 मीटर का खिताब जोड़ा.

शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों के 200 मीटर फ़ाइनल में, अमेरिकी लायल्स ने 19.52 सेकंड में इस दूरी में अपना लगातार तीसरा विश्व खिताब जीता और 2015 में जमैका के दिग्गज यूसेन बोल्ट के बाद विश्व चैंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर युगल जीतने वाले पहले धावक बन गए.

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लायल्स के टीम साथी एरीयोन नाइटन ने 19.75 सेकंड के साथ रजत पदक जीता, जबकि बोत्सवाना के लेट्साइल टैबू 19.81 सेकंड के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

लायल्स ने कहा, “यह जानकर बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने कुछ ऐसा किया है जो बहुत से लोगों ने नहीं किया है.” लायल्स की नज़र अब 4×100 मीटर रिले स्पर्धा में तीसरा स्वर्ण जीतने पर भी है.

महिलाओं की ट्रिपल जंप में विश्व रिकॉर्ड धारक और ओलंपिक चैंपियन युलिमार रोजस अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म से बहुत दूर थीं और केवल एक जंप के साथ 14.33 मीटर में आठवें स्थान पर थीं.

लेकिन 27 वर्षीय वेनेज़ुएला की रोजस को सभी को पीछे छोड़ने के लिए केवल एक अवसर की आवश्यकता थी. 15.08 मीटर की अंतिम छलांग ने उन्हें लगातार चार बार विश्व खिताब जीतने में सक्षम बनाया, यूक्रेन की मैरीना बेख-रोमनचुक और क्यूबा की लियानिस पेरेज़ हर्नानेडेज़ क्रमशः 15.00 मीटर और 14.96 मीटर के साथ उनके पीछे रहीं.

रोजस ने कहा, “यह बहुत कठिन था. तथ्य यह है कि मैंने अपने आखिरी प्रयास में प्रतियोगिता जीती, यह इसे बहुत खास और यादगार बनाता है.” “यह लगातार (आउटडोर और इंडोर) मेरा सातवां विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण है, लेकिन यह उन सभी में सबसे खास है. मेरा आखिरी प्रयास मेरे द्वारा की गई कड़ी मेहनत, मेरी मानसिक स्थिति और मेरे आत्मविश्वास का प्रमाण था.”

हालाँकि परिणाम उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 15.67 मीटर से काफी पीछे था, रोजस ने कहा कि उन्हें इसकी परवाह नहीं है. “मेरे मन में एकमात्र चीज़ स्वर्ण जीतना थी.”

महिलाओं के भाला फेंक फाइनल में, कोलंबियाई अनुभवी फ्लोर डेनिस रुइज़ हर्टाडो ने अपने पहले प्रयास में 65.47 मीटर में शीर्ष स्थान पर मजबूती से कब्जा कर लिया, लेकिन जापानी कितागुची, जो अपने पिछले पांच प्रयासों में 63 मीटर के निशान को पार नहीं कर सकीं, ने आखिरी प्रयास में जबरदस्त थ्रो किया और 66.73 मीटर के साथ जीत हासिल की.

पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली 25 वर्षीय कितागुची ने कहा, “इस खिताब को जीतने के लिए महत्वपूर्ण बात सिर्फ इस पर विश्वास करना था.” “मेरा लक्ष्य (पिछले साल) सिर्फ फाइनल में पहुंचना था. इस बार, हंगरी आकर, मेरा लक्ष्य पदक था और उससे भी अधिक – मैं स्वर्ण चाहती थी.”

न तो ओलंपिक चैंपियन चीन की लियू शियिंग और न ही ऑस्ट्रेलिया की दो बार की विश्व चैंपियन केल्सी-ली बार्बर पोडियम फिनिश कर पाईं. बार्बर की टीम साथी मैकेंजी लिटिल 63.38 मीटर में तीसरे स्थान पर रहीं.

जमैका की शेरिका जैक्सन ने 200 मीटर की दूरी में जीत हासिल की क्योंकि उन्होंने अपने पिछले चैंपियनशिप रिकॉर्ड 21.45 सेकंड से 0.04 सेकंड कम करके अपने खिताब का बचाव किया.

अमेरिकी गैब्रिएल थॉमस और शा’कैरी रिचर्डसन क्रमशः 21.81 और 21.92 सेकंड के साथ पीछे रहीं.

प्रकृति में पहुंचने पर प्लास्टिक जितने ही जहरीले होते हैं कागज के कप: अध्ययन

नई दिल्ली, जहरीले रसायनों से बचने के लिए पेपर कप प्लास्टिक कप का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि पेपर कप (पेपर ढक्कन के साथ) में आप जो फेंके जाने के बाद प्रकृति में पहुंचने पर जीवित जीवों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

पृथ्वी के सभी हिस्सों और सभी जीवित चीजों को प्रदूषित करने वाले प्लास्टिक प्रदूषण की रिपोर्ट ने वैकल्पिक सामग्रियों की ओर बदलाव को तेज कर दिया है.

हालाँकि, पेपर कप प्लास्टिक कप की तरह ही जहरीले होते हैं.

स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तितली मच्छर के लार्वा पर विभिन्न सामग्रियों से बने डिस्पोजेबल कप के प्रभाव का परीक्षण करते हुए एक अध्ययन में यह दिखाया है.

गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर बेथानी कार्नी अल्मरोथ ने कहा, “हमने कुछ सप्‍ताह के लिए कागज के कप और प्लास्टिक के कप को गीली तलछट और पानी में छोड़ दिया और देखा कि उनसे निकलने वाले रसायनों ने लार्वा को कैसे प्रभावित किया. सभी मगों ने लार्वा के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाला.”

खाद्य पैकेजिंग सामग्री में उपयोग किए जाने वाले कागज की सतह पर प्‍लास्टिक की कोटिंग चढ़ाई जाती है. यह प्लास्टिक कागज को कॉफी से बचाता है. आजकल, प्लास्टिक फिल्म अक्सर पॉलीलैक्टाइड, पीएलए से बनी होती है जो एक प्रकार का बायोप्लास्टिक है.

बायोप्लास्टिक्स का उत्पादन जीवाश्म ईंधन की बजाय नवीकरणीय संसाधनों (पीएलए का उत्पादन आमतौर पर मक्का, कसावा या गन्ने से होता है) से किया जाता है, जैसा कि बाजार में 99 प्रतिशत प्लास्टिक के मामले में होता है.

पर्यावरण प्रदूषण जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, पीएलए को अक्सर बायोडिग्रेडेबल माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सही परिस्थितियों में तेल आधारित प्लास्टिक की तुलना में तेजी से टूट सकता है, लेकिन फिर भी यह जहरीला हो सकता है.

बायोप्लास्टिक जब पर्यावरण में, पानी में पहुँचते हैं तो प्रभावी ढंग से नहीं टूटते हैं.

अल्मरोथ ने कहा, “ऐसा जोखिम हो सकता है कि प्लास्टिक प्रकृति में बना रहे और परिणामी माइक्रोप्लास्टिक्स सामान्‍य प्‍लास्टिक की तरह ही जानवरों और मनुष्यों की आहार श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है. बायोप्लास्टिक में पारंपरिक प्लास्टिक जितने ही रसायन होते हैं.”

अध्‍ययन रिपोर्ट में कहा गया है, “प्लास्टिक में कुछ रसायन विषैले माने जाते हैं, अन्य के बारे में जानकारी का अभाव है. कागज की पैकेजिंग अन्य सामग्रियों की तुलना में संभावित स्वास्थ्य खतरा भी प्रस्तुत करती है.

मृत्यु पूर्व बयान दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि अगर मृत्यु पूर्व दिए गए बयान की सत्यता पर कोई संदेह है या रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य से पता चलता है कि यह सच नहीं है, तो ही इसे साक्ष्य का एक हिस्‍सा भर माना जायेगा और यह दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकता.

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने एक आपराधिक अपील पर विचार करते हुए कहा कि अदालतों को इस पर भरोसा करने से पहले खुद को संतुष्ट करना होगा कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान विश्वसनीय और सच्चा है.

अदालत ने कहा, “यह निर्धारित करने के लिए कोई सख्त नियम नहीं है कि मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को कब स्वीकार किया जाना चाहिए; न्यायालय का कर्तव्य मामले के तथ्यों और आसपास की परिस्थितियों के आधार पर इस प्रश्न पर निर्णय लेना और उसकी सत्यता के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होना है.”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या बयान देने वाला व्यक्ति को पता था कि वह मर सकता है, क्या मृत्यु पूर्व बयान सबसे पहले उपलब्‍ध मौके पर लिया गया था आदि कारकों पर अदालतों को विचार करना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि यह सच है कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान एक ठोस सबूत है जिस पर भरोसा किया जा सकता है, अगर यह साबित हो जाए कि वह स्वैच्छिक और सच्चा था और पीड़ित की मानसिक स्थिति ठीक थी.

शीर्ष अदालत ने कहा, “अदालत के लिए यह कहना पर्याप्त नहीं है कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान विश्वसनीय है क्योंकि मृत्यु पूर्व दिए गए बयान में आरोपी का नाम हमलावर के रूप में है.