नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और आरबीआई से 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के फैसले पर व्यापक हलफनामा दाखिल करने और आरबीआई को केंद्र के पत्र, आरबीआई बोर्ड के फैसले और नोटबंदी की घोषणा से संबंधित फाइलें तैयार रखने को कहा।
न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत सरकार की नीति की न्यायिक समीक्षा पर अपनी लक्ष्मण रेखा से अवगत है।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्न की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि आरबीआई अधिनियम की धारा 26 केंद्र को विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं करती है। इसलिए, मुख्य सवाल यह है कि क्या सरकार के पास धारा 26 के तहत 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने का अधिकार है?
शीर्ष अदालत केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 50 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पूछा था कि क्या यह मुद्दा अब भी बना हुआ है?