Saturday, April 27, 2024

पानी बचाना हम सबका दायित्व

इंदौर। इंडेक्स नर्सिंग कॅालेज मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ल्ड वॅाटर डे पर सेमिनार आयोजित किया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि नेशनल वॅाटर ड्रिंकिंग वॅाटर सेक्रेटरी पायलट प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ़ ड्रिंकिंग वॉटर और सैनिटाइजेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के सुधींद्र मोहन शर्मा उपस्थित थे। देश के जाने माने हाइड्रोलॉजिस्ट सुधींद्र मोहन शर्मा ने कहा कि पृथ्वी पर 70 प्रतिशत जल है। वहीं मनुष्य के शरीर में भी 70 फीसदी जल है। जल पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन सही प्रबंधन नहीं होने से जल समस्या बनी हुई है। ग्रामीण की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में खपत ज्यादा है। इंदौर में लगभग 550 एमएलडी पानी बंटता है, जिसमें से 60% व्यर्थ बह जाता है। अत: बढ़ती मांग को देखते हुए आवश्यक है। दूषित जल को उपचारित कर पुनः उपयोग करें। एक परिवार 675 लीटर पानी में से 270 लीटर पानी फ्लश कर देता है। इसके पुन: इस्तेमाल से पानी के लिए इंदौर की नर्मदा पर निर्भरता कम हो जाएगी।
नदियों को उधार के पानी से जीवंत करना उपाय नहीं
उन्होंने कहा कि नदियों के खत्म होने को भी इसी ईकोसिस्टम से जोड़ते हैं। हालांकि उनके पास इस ईकोसिस्ट के खत्म होने का एक और कारण है। वे कहते हैं कि गांवों में पशुओं की संख्या बढ़ने से यहां की पहाड़ियां उनकी चारागाह बन गईं और इस तरह से यहां की प्राकृतिक वनस्पति खत्म होने लगी । इसके साथ मिट्टी बहती रही और पहाड़ों की बाहरी सतह पर पत्थर रह गए।ऐसे में नदियां कितने दिनों तक बची रहेंगी और पानी खेतों तक कितने दिनों तक आएगा यह कहना मुश्किल है क्योंकि इसका खर्च लगातार बढ़ता रहेगा। वे कहते हैं कि इस इलाके में हर कहीं एक एकड़ जमीन पर बारिश का एक करोड़ लीटर पानी जुटाया जा सकता है। ऐसे में किसान सरकार से इस पानी को जुटाने की व्यवस्थाएं बनाने की मांग करें क्योंकि उधार के पानी से अपनी खत्म की हुई नदियों को जिंदा करना आने वाली पीढ़ियों के लिए ठीक नहीं होगा।नर्मदा का पानी इन नदियों में लाना एक तरह से उधार का पानी और उधार की पहचान लेना है।इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया व वाइस चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया,कुलपति डॅा.संजीव नारंग के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम रजिस्ट्रार डॅा.लोकेश्वर सिंह जोधाणा एवं प्राचार्या डॅा.स्मृति जी सोलोमन द्वारा सुधींद्र मोहन शर्मा को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। यह कार्यक्रम डॉ बिंदयानी देवी और नितिन चिंचोलकर द्वारा किया गया ।

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