Wednesday, May 1, 2024

आगे का समय बहुत खराब, खाक होंगे नगर, लोग मिट जाएंगे, जलजला में भी निशा न रह जाएगा: बाबा उमाकान्त जी महाराज

सिलवासा त्रिकालदर्शी, मनुष्य के पाप कर्मों से नाराज कुदरत द्वारा दी जाने वाली सजा से समय रहते आगाह करने वाले, बचने का सरल उपाय भी बताने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 19 जनवरी 2024 दोपहर सिलवासा (दादरा नगर हवेली और दमन दीव) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आगे का समय बहुत खराब आ रहा है। ज्यादा हमको नहीं बताने का समय है, लेकिन बस यही कह रहा हूं आपसे, खाक होंगे नगर, लोग मिट जाएंगे, जलजला में भी निशा न रह जाएगा। उसके आसर दिखाई पड़ने लगे हैं। बारिश के महीने में जब भूरा बादल नीचे की तरफ से उठता दिखाई पड़ता है तब यह असार मालूम पड़ जाता है की बारिश होगी। धूँआ जहां दिखाई पड़ता है, मालूम हो जाता है कि आग है, जल करके राख कर देगी। ऐसे ही देखो विनाश लीलाएं विदेशों में शुरू हो गई हैं। भारत में तो समझो अभी थोड़ी गनीमत है लेकिन दूसरे देशों में देखो गोले दग रहे हैं, नगर के नगर खत्म होते चले जा रहे हैं, आदमी खत्म होता चला जा रहा है। देखो बाढ, भूकंप, तूफ़ान आदि बहुत आ रहे हैं। अभी मॉरिशस में बाढ़ आया।

मॉरिशस के राष्ट्रपति ने माँगा आशीर्वाद

मॉरीशस में जब मैं सतसंग करने गया था वहां के (पूर्व) राष्ट्रपति आए थे, राष्ट्रपति ने मुझसे कहा कि आप आशीर्वाद दीजिए, हमारा देश तरक्की करे, लोग ठीक रहे। तो हमने उनसे भी कहा था कि लोगों से कह दीजिए कि लोग शाकाहारी, नशा मुक्त हो जाए नहीं तो लोगों के कर्म खराब हो जाएंगे और कर्मों की सजा मिलेगी। जैसे आपका टापू है, ऐसे वह भी टापू है, चारों तरफ समुद्र है। खबर आई, वहां पानी भर गया, समुद्र में तूफान आ गया, शहर के ऊपर पानी उठाकर के सब डाल दिया, समझो, ऐसे ही इस वक्त का जीवन, विशेष रूप से समुद्र के किनारे वालों का जीवन इस तरह से है कि जैसे बारूद के ढेर पर आदमी खड़ा हुआ हो, उसका कोई ठिकाना नहीं रह जाता, कब आग लग जाए। या जैसे कोई कागज की नाव में बैठकर नदी पार करने के लिए सोचे, पता नहीं कब पानी भर जाए और डूब जाए। ऐसे ही लोगों की जिंदगी हो रही है।

बचने का उपाय

लेकिन यदि आप सुमिरन, ध्यान, भजन करते रहोगे, जयगुरुदेव नाम ध्वनि अगर आप बोलते रहोगे तो मालिक आपकी मदद करेगा। देखो प्रेमियों! यह जो गुलाबी कपड़ा पहनाया गया है, इसको अभी उतारने का समय नहीं आया है। बल्कि जो नए नामदानी हो, आप लोग पहन सकते हो। इसमें रहस्य है। यह आपकी बचत करेगा। ऐसे समय पर बचत करेगा, ऐसा चमत्कार दिखाई पड़ेगा, वह तो समय पर ही अनुभव होगा। इसलिए इसको जो पहनते हो, उतरना मत। अभी तो वो लोग जो टाट पहनते हैं, वो लोग भी बराबर पहने रहे। गुरु महाराज के कहने पर एक करोड़ लोगों ने टाट पहना था। मैं भी पहनता था लेकिन जब नाम दान देने का आदेश हो गया तब उतार दिया। जो जनहित का काम आपका चल रहा है, उसे बराबर चलाते, करते रहना। लेकिन असली चीज, सार क्या है? यही भजन, सुमिरन, ध्यान। यह सतसंगियों का मूल मंत्र है, यही असला काम है, बाकी तो आप निमित्त मात्र अपने शरीर, बच्चों के लिए नाम कमा लो, समाज में स्थान भी बना लो, यह भी कर सकते हो, इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं है।

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