जनसमपर्क सचिव आचार्य दयाशिखरानन्द अवधूत का स्पष्ट कहना है कि आनन्द मार्ग की आध्यात्मिक साधना ही मनुष्य में देवत्व का विकास करती है और आधुनिक समाज की समस्त विसंगतियों को दूर करने का यही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि “वेदान्त या उपनिषद वेद की पराकाष्ठा है और आध्यात्मिक साधना करना ही उपनिषद की शिक्षा का सार तत्व है।” दुख इस बात का है की धर्म के मूल तत्व से दूर रख कर कुछ लोगों ने जनसाधारण को धार्मिक आडम्बर में उलझा दिया है। आनन्द मार्ग के संन्यासी गण सम्पूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए गुरुदेव श्री श्री आनन्दमूर्ति के द्वारा प्रतिपादित धर्म-साधना जनसाधारण को निःशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं। यह धर्म साधना ही हर एक नर-नारी को देवत्व में प्रतिष्ठित करेगी और लोग एक दूसरे का गला काट कर आगे बढ़ने वाली अपसंस्कृति को त्याग कर सब के सुख-दुख में भागीदार बनेंगे। और नीरज का कथन साकार हो सकेगा :-
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए
आदमी को जहां इन्सान बनाया जाए
मेरे दुख दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूं भूखा तो तुझसे से भी ना खाया जाए
धर्म महासम्मेलन में उपस्थित होने के लिए दोनों पुरोधा गण वाराणसी से आचार्य वन्दनानन्द अवधूत और आनन्द नगर से आचार्य परमेश्वरानन्द अवधूत के अतिरिक्त हरिद्वार और ऋषिकेश से आचार्य चित्शिवानन्द अवधूत, आचार्य रसोद्भाभाषानन्द अवधूत और आचार्य दिवाकरानन्द अवधूत पधार चुके हैं। ज्ञातव्य है कि श्री श्री आनन्दमूर्ति ने मानव जाति को सर्वात्मक कल्याण के लिए “बाबा नाम केवलम्” के अष्टाक्षर मंत्र को आध्यात्मिक शक्ति सम्पन्न किया है। धर्म महासम्मेलन के दौरान इसी मन्त्र की धुन पर 24 घण्टे का कीर्तन भी किया जाएगा। प्रतिदिन सुबह 05:00 बजे कीर्तन का गायन करते हुए प्रभात फेरी निकाली जाएगी जिसमें गृहस्थ मार्गियों के साथ-साथ संन्यासी भी सम्मिलित रहेंगे।
हमारा विश्वास है कि धर्म महासम्मेलन में तीन दिन तक हज़ारों आनन्दमार्गी सुबह-शाम सामुहिक रूप से जो धर्म साधना और ध्यान करेंगे, भक्ति भाव में डूब कर जिस तरह कीर्तन करेंगे उससे उत्पन्न आध्यात्मिक तरंग उज्जैन नगरवासियों के मन में सकारात्मक भावना उत्पन्न करेगी और जिसके परिणामस्वरूप सभी का कल्याण होगा।
कल दोपहर में रिनासां यूनिवर्सल के तत्वावधान में जो विचार गोष्ठी रखी गई है उसमें उज्जैन के प्रतिष्ठित समाज सेवी श्री योगेश भार्गव ( चार्टर्ड एकाउंटेंट) के अतिरिक्त रायपुर, बैंगलोर और जयपुर से पधारे विद्वान “आदिगुरु भगवान सदाशिव की शिक्षा और उसका सामाजिक महत्व” पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करेंगे। यह विचार गोष्ठी दोपहर 03-00से संध्या 05-00 तक होगी जिसमें सर्वसाधारण उपस्थित हो सकता है।
कल रात्रि को आनन्द मार्ग के अध्यक्ष आचार्य वन्दनानन्द अवधूत जी का आनन्दमार्गियों के बीच “आधुनिक युग में धर्म की अनिवार्यता” पर प्रवचन होगा। तत्पश्चात जयपुर के छात्र-छात्राओं के द्वारा प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य -गान और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाएंगे।