Friday, May 3, 2024

सुमन स्मृति बाल नाट्य महोत्सव में महाकवि कालिदास द्वारा रचित नाटक मालविकाग्निमित्रम् का मंचन

उज्जैन , “कला चौपाल” एक ऐसी  चौपाल जो लोक कला, नाट्य कला के नवाचार के लिए दृढ संकल्पित है | हमने हमारी सामाजिक ,सांस्कृतिक कर्तव्यों की प्रतिबद्धता को निभाते हुआ संस्था कला चौपाल की स्थापना की | कला चौपाल की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोककला,  नाट्यकला  एवं संगीत को आधार बनाकर नाट्य मंचन के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी को पुनः हमारे संस्कारो से परिचिय करवाना  व अपनी संस्कृति के अवलोकन करना है |

कला चौपाल में अपनी सांस्कृतिक यात्रा के अगले पड़ाव पर संस्कृति विभाग कालिदास संस्कृत अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित डॉ शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति बाल नाट्य महोत्सव में दिनांक १३ अगस्त 2021 को महाकवि कालिदास द्वारा रचित नाटक मालविकाग्निमित्रम् का मंचन ऑनलाइन माध्यम से  कालिदास संस्कृत अकादेमी के youtube चैनल पर संस्कृत भाषा में किया गया |

नाट्य प्रस्तुति में संगीत एवं नृत्य की प्रधानता थी इसी को ध्यान में रखते हुए नाट्य प्रस्तुति की तैयारी लगभग १५ दिन में तैयार किया गया है | 

मालविकाग्निमित्रम् नाटक संक्षिप्त कथासार ; विदिशा में अग्निमित्र राजा थे उनकी धारणी इरावती दो रानियां थी राजा माधव सेन भी अपनी बहन मालविका का विवाह अग्निमित्र से कराना चाहते थे माधव सेन के चचेरे भाई यज्ञ सेन माधव सेन को बंदी बना लिया उनके मंत्री

ने स्वामी की इच्छा पूर्ति के लिए मालविका को अग्नि मित्र के पास पहुंचा देना चाहा तदनुसार वह मालविका को अपनी बहन कोशिक के साथ लेकर विदिशा यात्री दल में सम्मिलित हो गया |

रास्ते में दस्यु ने आक्रमण कर दिया माधव सिंह के मंत्री सुमति उस युद्ध में मारे गए उनकी बहन कौशिकी ने सन्यास ग्रहण कर लिया | दस्युओ ने मालविका को  बंदी बनाकर उपहार के रूप में धारणी के भाई को समर्पित कर दिया उसे अभिनय की शिक्षा  दिलाई गई |

एक दिन धारिणी ने अपना एक चित्र बनवाया जिसमें मालविका का चित्रण भी किया गया था चित्रशाला में बैठी धारणी देख रही थी पीछे से आकर राजा वहां खड़े हो गए चित्र में एक अपरिचित सुंदर तरुणी को देखकर राजा ने उसके विषय में पूछा रानी ने जानबूझकर उत्तर नहीं दिया चित्र में देख मालविका को राजा उस पर मोहित हो गए और विदूषक को अपनी मनोदशा बता दी और मालविका से मिलाकर संगम करा देने के लिए उपाय करने को कहा | राजा ने इसमें  धारिणी को मध्यस्थ बनाया और कहां किस  आधार पर विशेषज्ञता निर्धारित की जाए तो कौशिकी ने कहा दोनों आचार्य अपनी शिक्षाओं का अभिनय प्रदर्शित करेंगे जिसकी शिष्या प्रथम होगी वह विशेषज्ञ माना जाएगा | धारिणी ने बहुत प्रयत्न किया की यह बात किसी तरह दब जाए लेकिन सभी मिले हुए थे और उसे हताश होना पड़ा और मालविका का प्रदर्शन होना सुनिश्चित हो गया |

मालविकाग्निमित्रम् नाटक मैं अभिनय करने वाले बच्चे सूत्रधार -यश भावसार,मारीश – गौरांश कुशवाह, बकुला बालिका -वैष्णवी सोलंकी ,अग्निमित्र -राघव शर्मा ,विदूषक-सुधांशु सिंह सोलंकी, प्रतिहारी –गौरांश कुशवाह, कुमुदिनी –शुभी झवर, गणदास- विधान मेनन , हरदत्त- यश भावसार, कौशिकी-परिधि भावसार  ,धारणी –लाविशा चौहान, मालविका-अर्पिता चौहान  मंच प्रबंधन-  कृष्णपाल जादोन एवं तनिष परमार प्रकाश परिकल्पना -दीपक भावसार, संगीत -इंदर सिंह बैंस, तालवाद्य- विशाल सिंह कुशवाह, , सितार –महेंद्र बुआ , रूप सज्जा-पंकज आचार्य, वस्त्र विन्यास-आरती कुशवाह ,नृत्य निर्देशन – रमनदीप कुशवाह ,मंच परिकल्पना –कुशाग्र सिंह ,ब्रोसर- अनंत वर्मा

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