Saturday, April 20, 2024
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सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर, अनुच्‍छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती पर हो रही सुनवाई

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नई दिल्ली, . भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर, 2 अगस्त से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार सुनवाई कर रही है.

संविधान पीठ में शीर्ष अदालत के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं.

राजनीतिक दलों, निजी व्यक्तियों, वकीलों, कार्यकर्ताओं द्वारा बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की गई हैं, इसमें पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीनने वाले राष्ट्रपति के आदेश और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की संसद की कार्रवाई को चुनौती दी गई है.

अब तक, उनके तर्क का मुख्य जोर यह रहा है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 ने स्थायी स्वरूप ग्रहण कर लिया है.

सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने बार-बार इस स्थायित्व पर संदेह जताया और एक मौके पर टिप्पणी की कि “यह कहना मुश्किल है कि अनुच्छेद 370 स्थायी है और इसे कभी भी निरस्त नहीं किया जा सकता है.” इसने याचिकाकर्ता पक्ष से ऐसे परिदृश्य पर विचार करने को कहा, जहां पूर्ववर्ती राज्य स्वयं भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को अपने क्षेत्र में लागू करना चाहता था.

दूसरे, यह तर्क दिया गया है कि अनुच्छेद 370 में अंतर्निहित संघवाद की अवधारणा को राष्ट्रपति या संसद की किसी भी कार्रवाई द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकता है.

संविधान पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की है कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का भारत को समर्पण सशर्त नहीं था, बल्कि भारत के साथ विशेष संप्रभुता निहित करने वाला एक “पूर्ण” आत्मसमर्पण था.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि राज्यों के साथ सहमति की आवश्यकता वाले संविधान के प्रावधान जरूरी नहीं कि भारत संघ की संप्रभुता को कमजोर करते हों.

वस्तुतः, जम्मू-कश्मीर के संविधान में ही प्रावधान है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है और रहेगा.

इसी प्रकार, संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत ‘राज्यों का संघ’ होगा और इसमें संविधान की अनुसूची एक में जम्मू और कश्मीर राज्य शामिल है.

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेता अकबर लोन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई की शुरुआत में कहा था कि भारत के साथ जम्मू-कश्मीर का एकीकरण “निर्विवाद है, निर्विवाद था और हमेशा निर्विवाद रहेगा”.

ब्रेकजि‍ट जैसे जनमत संग्रह का जिक्र करने वाले सिब्बल के सुझाव को पसंद नहीं किया गया और अदालत कक्ष के बाहर संविधान पीठ और बड़े पैमाने पर जनता ने इस पर नाराजगी व्यक्त की.

शीर्ष अदालत के समक्ष उठाए गए तर्क की एक और पंक्ति यह है कि 1957 के जम्मू और कश्मीर संविधान में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति में बदलाव का कोई प्रावधान नहीं था.

हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने स्वयं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया है कि निस्संदेह, भारतीय संविधान दोनों संविधानों के बीच श्रेष्ठ है.

लेकिन, याचिकाकर्ताओं ने संविधान पीठ के समक्ष आग्रह किया है कि मूल संरचना भारत और जम्मू-कश्मीर दोनों के संविधान से ली जानी चाहिए.

अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की सिफारिश करने में संसद द्वारा राज्य विधायिका की भूमिका निभाने का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जोरदार ढंग से उठाया गया है.

यह तर्क दिया गया है कि “संविधान शक्ति” और “विधायी शक्ति” के बीच अंतर मौजूद है और एक विधान सभा को संविधान सभा में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ताओं ने आगाह किया है कि दोनों को बराबर बताने वाली व्याख्या का खतरनाक प्रभाव होगा. “कल, संसद कह सकती है कि हम संविधान सभा हैं. वे बुनियादी ढांचे को खत्म कर सकते हैं,” सिब्बल ने संविधान पीठ के समक्ष तर्क दिया, उस स्थिति पर विचार करते हुए जहां संसद खुद को संविधान सभा में परिवर्तित कर देती है.

उन्होंने कहा, “इस मामले को भूल जाइए, मुझे हमारे भविष्य की चिंता है.”

उपरोक्त प्रस्तुतिकरण को महत्व मिला, क्योंकि सीजेआई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की है कि संसद संविधान में संशोधन करती है, संविधान सभा की अपनी शक्ति का प्रयोग करके नहीं, हालांकि यह एक घटक शक्ति यानी संशोधन करने की शक्ति का प्रयोग कर रही है, लेकिन संविधान के भीतर प्रदान की गई रूपरेखा के भीतर.

अनुच्छेद 370 का सीमांत नोट, जिसे “जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधान” के रूप में पढ़ा जाता है, केंद्र द्वारा इसके निरस्तीकरण के समर्थन में दिया गया एक तर्क है.

लेकिन, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह “अस्थायी” कानूनी प्रावधान की व्याख्या में बहुत ही न्यूनतम भूमिका निभाता है और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न पिछले निर्णयों का हवाला दिया है.

उन्होंने कहा है कि यह कहना गलत होगा कि अनुच्छेद 370 का खंड (3) अप्रासंगिक है और इसे संविधान सभा के रूप में पढ़ना संविधान के अनुच्छेद 370 (डी) में संशोधन के समान होगा, हालांकि इसे राष्‍ट्रपति के एक व्याख्या प्रावधान के माध्यम से डाला गया है.

संक्षेप में, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए केंद्र द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पूरी तरह से “कानून के लिए अज्ञात” है.

सुप्रीम कोर्ट अपनी कार्रवाई का बचाव करने के लिए केंद्र से मौखिक दलीलें मांगने से पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से मौखिक दलीलें सुनना जारी रखेगा.

केंद्र, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से मौखिक दलीलें समाप्त होने के बाद अपना मामला पेश करेगा, ने अपनी लिखित दलील में विशेष दर्जा रद्द करने का बचाव करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को कमजोर करने के उसके फैसले से क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास, प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता आई है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया है कि आतंकवादियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा सड़क पर हिंसा, अब अतीत की बात बन गई है और “आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो कि बहुत अधिक थीं” 2018 में 1,767 की संख्या घटकर 2023 में अब तक शून्य हो गई है.”

इससे पहले, एक अन्य संविधान पीठ ने मामले को सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की आवश्यकता के खिलाफ फैसला सुनाया था.

इस मामले में कश्मीरी पंडितों और उनके संगठनों द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन अपने स्वतंत्र कानूनी पैरों पर खड़े नहीं दिखते बल्कि केंद्र के पक्ष में समर्थन का एक अंग जोड़ते हैं.

उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मैराथन कार्यवाही से निश्चित रूप से देश के संवैधानिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक निर्णय आएगा.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण पर बोली भाजपा, नहीं पड़ेगा कोई असर

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नई दिल्ली, . कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर से भारत जोड़ो यात्रा पर निकलने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि अपने भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण में राहुल गांधी पश्चिम से पूर्व तक के राज्यों की यात्रा करेंगे. राहुल गांधी की यह यात्रा गुजरात से शुरू होकर मेघालय तक जाएगी.

कांग्रेस राहुल गांधी की पहली भारत जोड़ो यात्रा को उम्मीद से कहीं ज्यादा सफल करार देते हुए जोर-शोर से भारत जोड़ो यात्रा के इस दूसरे चरण की तैयारी कर रही है. 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के रणनीतिकार राहुल गांधी की यात्रा को भले ही महत्वपूर्ण मान रहे हो लेकिन भाजपा इस यात्रा को बहुत ज्यादा तवज्जों देने के लिए तैयार नहीं है.

भाजपा का यह मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा निकाल कर राहुल गांधी अपने आपको राजनीतिक रूप से परिपक्व करने की कोशिश कर रहे हैं और यह एक असफल कोशिश है. भाजपा का यह भी कहना है कि इस यात्रा से कोई प्रभाव पड़ने नहीं जा रहा है.

से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल के बांकुरा से लोक सभा सांसद सुभाष सरकार ने कहा कि विपक्ष को देश की जनता की भलाई और देश की जनता के विकास से कोई मतलब नहीं है. उन्हें केवल विरोध करने से मतलब है और सिर्फ कुर्सी की चिंता है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत जोड़ो यात्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. राहुल गांधी का हाल सारे देश को पता लग गया है, सारे देश की जनता ने देख लिया है. जो सदन से जाते समय फ्लाइंग किस दे सकते हैं, वह भला क्या कर सकते हैं? इसलिए इस भारत जोड़ो यात्रा का कोई मतलब नहीं है और इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वहीं भाजपा की महिला लोक सभा सांसद सुनीता दुग्गल ने भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह (राहुल गांधी) अपने आप को राजनीतिक रूप से परिपक्व करने की कोशिश कर रहे हैं और यह असफल कोशिश है.

गुजरात से यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करने पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने आगे कहा कि जहां तक गुजरात का सवाल है, गुजरात में भाजपा लगातार चुनाव जीत रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब भी भाजपा लगातार जीतती रही है और अब जब वे प्रधानमंत्री बन गए हैं तब भी भाजपा जीत रही है और जीत का आंकड़ा उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है.

उन्होंने प्रदेश और देश में कांग्रेस की हालत पर कटाक्ष करते हुए यह भी जोड़ा कि अब तो गुजरात में हालत यह हो गई है कि आज वहां विपक्ष दिखाई ही नहीं देता है, प्रदेश में विपक्ष का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया है और इसी तरह के हालात 2024 में भी रहेंगे.

उन्होंने कहा कि देश की जनता का विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2014 में भी था, 2019 में भी था और 2024 में भी रहेगा और 2024 में एक बार फिर से हमारी ( भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ) सरकार बनेगी.

मप्र में उर्दू में 90 फीसदी से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों को मिलेगा पुरस्कार

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भोपाल, मध्य प्रदेश में उर्दू भाषा के प्रति छात्रों में लगाव बढ़ाने के लिए बोर्ड परीक्षाओं में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया जाएगा.

उर्दू अकादमी ने प्रदेश के हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी और उर्दू अकादमी की उर्दू कक्षा के विद्यार्थियों को उर्दू में अधिक अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देने का निर्णय लिया है.

उत्तीर्ण छात्र और छात्राएं जिन्होंने 2023 की परीक्षा में सम्मिलित हो कर उर्दू विषय में 90 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त किये हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा.

सभी पात्र मेघावी विद्यार्थियों में से सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाले को प्रथम पुरस्कार दो हजार रूपये , द्वितीय पुरस्कार 1500 रूपये दिए जायेंगे.

शेष सभी को तृतीय पुरस्कार के रूप में एक हजार रूपये की राशि प्रदान की जाएगी.इसके साथ ही प्रमाण-पत्र भी प्रदान किये जायेंगे.

प्रदेश के जिन छात्रों ने उर्दू कक्षा, हाई स्कूल एवं हायर सेकेंड्री स्कूल की परीक्षा में उर्दू विषय में अधिक अंक प्राप्त किए हैं, वे छात्र-छात्रायें अपनी सत्यापित अंक सूची, बैंक पास बुक के प्रथम पृष्ठ की छाया प्रति, मोबाईल नं. एवं पूरा पता 30 सितम्बर, 2023 तक मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी संस्कृति विभाग के कार्यालय को भेजना होगा.

योगी का अखिलेश पर हमला, बोले – चांदी के चम्मच से खाने वाले क्या जानें गरीबी की पीड़ा…

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लखनऊ, . यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर हमला बोला और कहा कि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं, वो किसान, गरीब, दलित की पीड़ा क्या समझेंगे.

मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को विधानसभा में सपा मुखिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने नेता विरोधी दल की बातों को सुना. एक घंटे के भाषण में उन्हें सिर्फ गोरखपुर का जलजमाव दिखाई पड़ा. गोरखपुर में एक ही रात 133 मिमी बारिश हुई, इस वजह से जलजमाव हुआ. वहां लोग खुश हैं. उन्हें पता है अब जलजमाव नहीं होगा.

उन्होंने कहा, जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं, वो किसान, गरीब, दलित की पीड़ा क्या समझेंगे? पिछड़ों, अति पिछड़ों के साथ इन्होंने क्या व्यवहार किया, ये पूरा प्रदेश जानता है. चौधरी चरण सिंह की बातों को अगर सपा ने जरा-सा भी ध्यान दिया होता, तो इनके शासन काल में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या न करते.

योगी ने कहा कि विपक्ष अपनी विफलता को छुपाने के लिए, अब गरीबों को जो सरकारी आयुष्मान के कारण सुविधा मिल रही है, वो नहीं दिखाई दे रही है. हमें विरासत में एक जर्जर व्यवस्था मिली थी, उसे ठीक करने में समय तो लगता है.

योगी ने विपक्ष पर तंज कसा कि 2024 में आपका खाता भी नहीं खुलने वाला है. 24 में फिर से डबल इंजन की सरकार आने वाली है.

योगी ने कहा कि नेता विरोधी दल के वक्तव्य को देखकर यही लगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 का जो जनादेश है, वो जनता ने ऐसे ही नहीं दिया. दुष्यंत कुमार ने इस पर बहुत अच्छी बात कही है कि “तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं, और कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं.” उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है.

उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने ये बात कही भी है कि “समरथ को नहीं कोई दोष गोसाईं.” ऐसे ही लोगों पर बातें अक्षरशः ठीक बैठती हैं, क्योंकि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं, वो गरीब-किसान-दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझेंगे. उन्होंने अति पिछड़ों और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, ये पूरा देश जानता है.

योगी ने कहा कि महान किसान नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि देश की प्रगति का मार्ग इस देश के गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है. चौधरी चरण सिंह की बातों को वास्तव में समाजवादी पार्टी ने अपने कालखंड में थोड़ा भी ध्यान में रखा होता तो उत्तर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखंड में आत्महत्या नहीं की होती.

उन्होंने कहा कि मुझे चौधरी चरण सिंह की बातों के साथ ही महान साहित्यकार राम कुमार वर्मा जी की पंक्तियां याद आती हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है. यह देश के अन्नदाता किसानों के लिए समर्पित पंक्तियां थीं कि “हे ग्राम देवता नमस्कार, सोने चांदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार.” सोना-चांदी से प्यार करने वाले लोग अन्नदाता किसान के महत्व को नहीं समझेंगे. उसकी पीड़ा को भी नहीं समझ पाएंगे.

योगी ने कहा कि अगर भारत की खेती की बात होती है तो नेता विरोधी दल, उससे बाड़ी शब्द भी जुड़ता है. पशुपालन भी उसका पार्ट है. और, जिस सांड की आप बात कर रहे हैं न वो भी उसी का हिस्सा है. आपके समय में वो बूचड़ खाने के हवाले होता था, हमारे समय में यही पशु धन का पार्ट बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि लगता है पेपर की कटिंग पर होमवर्क करते समय शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच में रखवा दी थीं. क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब परिवार में सत्ता का संघर्ष बढ़ता है तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी. शिवपाल जी ने इतना पापड़ बेला है तो कुछ तो सामने आएगा. शिवपाल जी के प्रति हमारी सहानुभूति है. आपके साथ अन्याय हुआ है. आपके साथ ये लोग न्याय करेंगे भी नहीं.

‘महिला प्रधान एक्शन फिल्में नहीं चलती’, इस विचारधारा को तोड़ेंगी आलिया भट्ट

मुंबई, . बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ‘हार्ट ऑफ स्टोन’ के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शुरुआत करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जहां वह गैल गैडोट अभिनीत फिल्म में खलनायक की भूमिका निभाती नजर आएंगी.

फिल्म में आलिया जासूसी और साइबर वॉरफेयर को एक्सप्लोर करने वाली हाई-ऑक्टेन थ्रिलर में चैलेजिंग रोल निभाती नजर आएंगी, वह केया धवन की भूमिका में है. दुनिया के सबसे टेलेंटेड और खतरनाक हैकरों में से एक केया धवन के उनके किरदार से ग्लोबल ऑडियंस को आकर्षित करने और इंटरनेशनल टैलेंट के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है.

‘हार्ट ऑफ स्टोन’ में अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए, आलिया ने साझा किया – “अमेजिंग बात यह है कि दुनियाभर में नैरेटिव कैसे बदल रहे हैं. मैंने इसका एक्सपीरियंस भारत में भी किया है, जहां मैंने ‘गंगूबाई’ नामक फिल्म में काम किया था, जिसने दुनिया भर के सिनेमाघरों और नेटफ्लिक्स पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और यह एक ऐसी फिल्म थी जो सुर्खियों में आई थी.”

“हम एक निश्चित विचारधारा से आते हैं कि एक एक्शन फ्रेंचाइजी में वुमन लीड फिल्म अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगी.”

उन्होंने आगे कहा, “लेकिन मुझे लगता है कि गैल ने वंडर वुमन करके उस मिथक को तोड़ दिया. लोगों ने वुमन लीड जासूसी थ्रिलर एक्शन फ्रेंचाइजी नहीं देखी है, इसलिए मैं अपने दम पर कुछ शुरू करना चाहती थी. मुझे यह आइडिया पसंद है. यह बहुत अनोखा और प्रासंगिक है.”

‘हार्ट ऑफ स्टोन’ 11 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी. एक्शन से भरपूर इस जासूसी थ्रिलर फिल्म में गैल गैडोट और जेमी डोर्नन भी हैं.

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया : बिलकिस बानो पर किया गया जुल्‍म धर्म के आधार पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ था

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नई दिल्ली, . वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के खिलाफ किया गया अपराध धर्म के आधार पर किया गया ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ था.

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ जनहित याचिका में दिए गए तर्कों पर विचार कर रही थी. याचिकाकर्ताओं ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई छूट के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई लगातार चौथे दिन जारी रही, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है.

जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं में से एक, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से पेश इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उन दोषियों की सजा माफ कर दी है जो हत्याओं और बलात्कारियों के गिरोह में शामिल थे.

उन्होंने तर्क दिया कि 2002 के गुजरात दंगों का संदर्भ दोषी को सजा में छूट देने के खिलाफ एक प्रासंगिक कारक है, क्योंकि बिलकिस बानो पर किए गए जुल्‍म को अलग करके नहीं देखा जा सकता.

उन्होंने पीठ को बताया, ”जब बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, तब वह पांच महीने की गर्भवती थी.” उन्होंने कहा कि यह एक ”क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक” कृत्‍य था.

इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि गुजरात सरकार द्वारा निर्धारित छूट नीति “कोई नीति नहीं” है, क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सिद्धांतों की अनदेखी करती है. साथ ही, नीति छूट देने के लिए गंभीरता के आधार पर अपराध को वर्गीकृत करने में भी विफल रही.

वकील वृंदा ग्रोवर ने आगे कहा कि अपराध मानवता के खिलाफ किए गए थे और हमले केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ किए गए थे. ग्रोवर ने कहा कि जनहित याचिकाएं (पीआईएल) राज्य सरकार द्वारा छूट देने के कार्यकारी विवेक और शक्ति को चुनौती देती हैं.

उन्होंने कहा, आपराधिक न्याय प्रक्रिया समाप्त हो गई है और अंतिम रूप ले चुकी है. उन्होंने बताया कि दोषियों ने उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया और जुर्माना न चुकाने से सजा में छूट स्वयं ही अवैध हो जाती है.

इससे पहले, एक दोषी की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने जनहित याचिकाओं की स्थिरता का विरोध करते हुए कहा था कि जनहित याचिका वादियों ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनकी याचिकाओं पर विचार करने से भानुमती का पिटारा खुल जाएगा.

केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों ने सीपीआई-एम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल की मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की आसमां शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का विरोध करते हुए कहा है कि एक बार पीड़िता ने खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया था. , दूसरों को किसी आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने तर्क दिया था कि सजा में कमी और सजा में छूट के सवाल पर दायर जनहित याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, “जहां तक सजा की मात्रा का सवाल है, कोई तीसरा पक्ष कभी भी इसमें दखल नहीं दे सकता.”

अदालत ने केंद्र, राज्य सरकार और दोषियों के वकीलों को अपनी दलीलें आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए मामले की सुनवाई 17 अगस्त को तय की.

गर्भवती महिला के साथ जुलम के दोषी 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था. इन्‍हें ठीक उसी दिन रिहा किया गया, जिस दिन प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से महिलाओं के सम्मान की बात कही थी. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत दोषियों की रिहाई की अनुमति दी थी और कारण बताया था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए हैं.

‘विटामिन के’ की कमी वाले लोगों के फेफड़े खराब होने की संभावना अधिक : रिसर्च

नई दिल्ली, . जिन लोगों के ब्लड में ‘विटामिन के’ का स्तर कम होता है उनके फेफड़े खराब होने की संभावना अधिक होती है.

इसकी कमी वाले लोग अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और घरघराहट से पीड़ित होते हैं. गुरुवार को प्रकाशित हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है.

‘विटामिन के’ पत्तेदार हरी सब्जियों, वनस्पति तेलों और अनाजों में पाया जाता है. यह रक्त (ब्लड) के थक्के जमने में भूमिका निभाता है, और इसलिए शरीर को घावों को ठीक करने में मदद करता है. लेकिन, शोधकर्ताओं को फेफड़ों के स्वास्थ्य में इसकी भूमिका के बारे में बहुत कम पता है.

ईआरजे ओपन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित नए परिणाम, विटामिन के सेवन पर वर्तमान सलाह में कोई बदलाव नहीं करते हैं.

शोधकर्ता डॉ. टोर्किल जेस्पर्सन ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार, बड़ी सामान्य आबादी में ‘विटामिन के’ और फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर यह पहला अध्ययन है. हमारे परिणाम बताते हैं कि ‘विटामिन के’ हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भूमिका निभा सकता है.

यह अध्ययन कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में डेनिश शोधकर्ताओं की एक टीम ने किया था. इसमें कोपेनहेगन में रहने वाले 24 से 77 वर्ष की आयु के 4,092 लोगों का एक समूह शामिल हुआ था.

शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘विटामिन के’ के कम स्तर वाले लोगों में औसतन एफईवी1 कम और एफवीसी कम था. ‘विटामिन के’ के कम स्तर वाले लोगों में यह कहने की अधिक संभावना थी कि उन्हें सीओपीडी, अस्थमा या घरघराहट है.

शोधकर्ता जेस्पर्सन ने कहा कि अपने आप में, हमारे निष्कर्ष ‘विटामिन के’ सेवन के लिए वर्तमान सिफारिशों में बदलाव नहीं करते हैं, लेकिन वे सुझाव देते हैं कि हमें इस पर और अधिक शोध की जरूरत है कि क्या कुछ लोग, जैसे कि फेफड़ों की बीमारी वाले लोग, ‘विटामिन के’ पूरकता से लाभान्वित हो सकते हैं.

मप्र में सिंधिया के एक और समर्थक ने छोड़ी भाजपा

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भोपाल,   मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं की घर वापसी जारी है.

इसी क्रम में शिवपुरी के कोलारस के धाकड़ समाज के नेता रघुराज सिंह धाकड़ व अन्य नेताओं ने गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के सामने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.कांग्रेस ने बताया कि कोलारस से रघुराज सिंह धाकड़, चंदेरी से जयपाल सिंह यादव एवं यदुराज सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं विधायक जयवर्धन सिंह उपस्थित रहे.ज्ञात हो कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने से गिर गई थी. सिंधिया के साथ ग्वालियर-चंबल इलाके के बड़ी तादाद में नेता भाजपा में शामिल हुए थे.बीते कुछ दिनों से कई नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.

विप्रो कंज़्यूमर केयर एंड लाईटिंग का चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन नये रूप में हुआ महाराष्ट्र में रिलॉन्च

भारत की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक, विप्रो कंज़्यूमर केयर एंड लाईटिंग ने अपने परंपरागत ब्रांड, चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन का महाराष्ट्र में रिलॉन्च किया है। इस रिलॉन्च का अनावरण उनके नए विज्ञापन के साथ किया गया, जिसमें दिखाया गया है कि यह साबुन किस प्रकार कई पीढ़ियों के ज्ञान के साथ त्वचा की देखभाल की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए त्वचा में निखार और स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रहा है। इस नए टीवीसी के साथ यह ब्रांड अपने उपभोक्ताओं को #अपने देश का ग्लो प्रदान कर रहा है, और इस साबुन की 80 साल से ज्यादा समय की विरासत पर बल दे रहा है।
चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन के इस नए पैक को महाराष्ट्र में इसके उपभोक्ताओं की पसंद के अनुरूप विशेष रूप से तैयार किया गया है, जो बाजार में नए उपभोक्ताओं के साथ भी संबंध को मजबूत करता है। यह नया साबुन नए आकार और नई पैकेजिंग में पेश किया गया है, जिसने इसे और ज्यादा आकर्षक बना दिया है। प्रमाणित आयुर्वेदिक फॉर्मुलेशन का उपयोग कर चंद्रिका ने अपने साबुन का नवनिर्माण कर इसे महाराष्ट्र में और ज्यादा ग्राहकों तक पहुँचाया है और क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ स्थापित की है।
आयुर्वेदिक स्किन केयर की तकनीकों में प्राकृतिक सामग्री और व्यक्तिगत देखभाल पर बल दिया जाता है, इसलिए इसमें त्वचा को साफ करने, पोषण देने और इसकी सुरक्षा करने तथा त्वचा की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए औषधियों, तेलों, एवं अन्य प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाता है। चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन अद्वितीय आयुर्वेदिक विधि के साथ एकमात्र साबुन है, जिस पर आठ दशकों से ज्यादा समय से भरोसा किया जा रहा है। चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन के इस नए फॉर्मूले में त्वचा में सुधार लाने वाले आयुर्वेदिक तत्वों का उपयोग किया गया है, जिनका परामर्श पारंपरिक आयुर्वेद में दिया जाता है। ये सामग्रियाँ असाधारण परिणाम देने के लिए सामंजस्य में काम करती हैं। और त्वचा को सर्वाधिक फायदे प्रदान करने के लिए इन सामग्रियों को नारियल तेल में भिगोया जाता है, जो उनके अर्क को सोखकर उन्हें और ज्यादा प्रभावशाली बना देता है।
महाराष्ट्र के बाजार में चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन के रिलॉन्च के बारे में श्री नीरज खत्री, चीफ एग्जीक्यूटिव, कंज़्यूमर केयर बिज़नेस, इंडिया एवं साउथ एशिया ने कहा, ‘‘चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन पिछले 8 दशकों से निखरी त्वचा के लिए लाखों लोगों का एक भरोसेमंद ब्रांड है। भारत में हमें यह देखकर गर्व होता है कि यह ब्रांड अभी भी आयुर्वेद की शक्ति और हमारी परंपराओं एवं विधियों में हमारे उपभोक्ताओं के विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे विकास की योजना के अंतर्गत हम इस विश्वास को मजबूत करने और अपने संदेश को नए उपभोक्ताओं तक पहुँचाने पर केंद्रित हैं। इसके साथ ही हम महाराष्ट्र में एक नए अपडेटेड फॉर्मूला और नई पैकेजिंग में चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन के रिलॉन्च की घोषणा करके बहुत उत्साहित हैं। हमें चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन के अद्वितीय और शक्तिशाली फॉर्मुलेशन पर विश्वास है और हम अपने उपभोक्ताओं को सर्वश्रेष्ठ उत्पाद देने एवं इस क्षेत्र में विस्तार करने के लिए तत्पर हैं।’’
श्री एस प्रसन्ना राय, वाईस प्रेसिडेंट – मार्केटिंग, विप्रो कंज़्यूमर केयर एंड लाईटिंग ने कहा, ‘‘। हम देख रहे हैं कि उपभोक्ता स्किनकेयर के लिए आयुर्वेद की ओर जा रहे हैं। चंद्रिका सदैव से इस परंपरा का नेतृत्व करता है, और हर पीढ़ी का ग्राहक अपनी स्किन को स्वस्थ एवं निखरा हुआ बनाए रखने के लिए इस ब्रांड पर भरोसा करता है। महाराष्ट्र में यह रिलॉन्च का अभियान हमारे उपभोक्ताओं को एक भरोसेमंद एवं प्रभावी हुआ समाधान प्रदान करने के लिए है, जो उन्हें अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाए एवं अपने देश का ग्लो प्रदान करे। चंद्रिका की 80 साल की विरासत महाराष्ट्र में हमारे उपभोक्ताओं को सदियों से चली आई विधि एवं ज्ञान के आधार पर बेहतरीन स्किन केयर समाधान प्रदान करेगी। चंद्रिका के इस नए व आकर्षक अध्याय में हम महाराष्ट्र में अपने उपभोक्ताओं के लिए विश्वसनीयता व भरोसे के अपने वादे के साथ अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं
नए चंद्रिका आयुर्वेदिक साबुन का 75 ग्राम का पैक महाराष्ट्र में किराना स्टोर, सुपर मार्केट, मॉल्स और पूरे देश में ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर 32 रु. के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) में मिलेगा।

भारत की क्रिएटर इकॉनमी के लिए सफलता की अगली लहर लाएगा, क्रिएटिविटी और फैंस की इमोशनल भागीदारी के बीच का संबंध: यूट्यूब

भारत में अपने लोकलाइज्ड वर्जन लांच के 15 साल पूरे होने के अवसर पर, यूट्यूब ने अपना एक अनोखा इनसाइट शेयर किया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे भारतीय क्रिएटर्स की सरलता ने प्रशंसकों की बढ़ती प्राथमिकताओं के साथ मिलकर, एक नए क्रिएशन, उसके बेहतर उपयोग और पॉप कल्चर में एक आवश्यक ट्रेंड्स को नया आकार दिया है। 2008 के बाद से, क्रिएशन टूल्स की बढ़ती संख्या और पर्सनलाइज्ड व्यूइंग की भारी डिमांड से प्रेरित होकर, भारत के क्रिएटिव आंत्रप्रेन्योर्स ने क्रिएटिव एक्सप्रेशन के नए आयाम तलाशने के साथ-साथ उन पर जीत भी हासिल की है।

मौजूदा वक्त में जब डिजिटल वीडियो का दायरा, टेक्नोलॉजी, क्रिएटिविटी और पॉप कल्चर के मामले में महत्वपूर्ण बदलावों के शीर्ष पर पहुंच गया है, ऐसे में यूट्यूब क्रिएटिव टूल्स, मोनेटाइज करने के तरीकों और सार्थक तरीके से नए दर्शकों को जोड़ने में मदद करते हुए, क्रिएटर्स और दर्शकों को क्रिएट करने, डिस्कवर करने और एक दूसरे से कनेक्ट करने का सुरक्षित अनुभव प्रदान करता है।

इस मौके पर यूट्यूब इंडिया के डायरेक्टर इशान जॉन चटर्जी ने कहा, “डिजिटल वीडियो में हमेशा ही साक्षरता और भौगोलिक बाधाओं को तोड़ने की असामान्य क्षमता रही है। देश में यूट्यूब का सफर, कई मायनों में भारत के अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के सफर को प्रतिबिंबित करता है। 15 वर्षों में, यूट्यूब ने कई अवतार लिए हैं, जिनमें दुनियाभर में चल रहे ट्रेंड्स को डिस्कवर करने का एक स्थान देने और एक जिज्ञासु, जुड़े रहने वाले और जीवंत भारत का प्रतिबिंब पेश करने वाले वीडियोज को, उनकी ही भाषा में अपनाना शामिल है।

उन्होंने आगे कहा, “यूट्यूब की धड़कन इसके क्रिएटर्स, आर्टिस्ट व पार्टनर्स हैं और रहेंगे भी, और हम इस इकोसिस्टम की सफलता का समर्थन करने के लिए, हमेशा की तरह प्रतिबद्ध हैं। हम यूट्यूब को लंबी दूरी की सफलता के लिए सबसे अच्छा प्लेटफार्म बनाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।”

यहां पांच ट्रेंड्स हैं जो भारत में डिजिटल वीडियो लैंडस्केप और क्रिएटर इकॉनमी को आकार देने में, भारतीय क्रिएटर्स और फैंस के प्रभाव को दर्शाते हैं।

फ्रिक्शनलेस हुआ क्रिएशन

वर्तमान में यूट्यूब, क्रिएटिव टूल्स का एक विशाल कैनवास प्रदान करता है। बड़ी संख्या में वीडियो टूल्स की उपलब्धता ने किसी भी क्रिएशन को सरल और अधिक मज़ेदार बना दिया है। अधिक क्रिएटिव टूल्स ने फॉर्मेट्स के विस्तार को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक स्टोरीज, बड़ा पैमाना, अधिक प्रशंसक और अधिक प्रभाव उत्पन्न हुआ है।

यहां तक कि भारत में 69% जेनेरशन ज़ेड को यह अधिक पसंद आता है जब उनके पसंदीदा क्रिएटर्स, अलग फॉर्मेट्स में नए क्रिएशन्स (जैसे शार्ट फॉर्म, लॉन्ग फॉर्म, पॉडकास्ट, लाइव स्ट्रीमिंग) तैयार करते हैं। स्रोत: गूगल/आईपीएसओएस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, एन=603, ऑनलाइन जेन जेड एडल्ट्स, आयु 18-24।

यह क्रिएटिव विस्तार गेमिंग, टेक, कॉमेडी या कुकिंग जैसी लोकप्रिय और बेहतर ढंग से स्थापित शैलियों में, नई जान फूंकने में मदद कर रहा है, इसके अलावा यह कई विशेष टॉपिक्स और कल्चर्स (मामले: शायरी और कविता का बढ़ता समुदाय) में रुचि को पुनर्जीवित कर रहा है और साइंस, फैक्ट्स या मोटिवेशन जैसी नई विधाओं को बढ़ावा दे रहा है।

मल्टीफॉर्मेट और सीमलेस कंजप्शन

15 साल पहले, वीडियो को ज्यादातर सिंगल कंटेंट फॉर्मेट के आधार पर ही देखा जाता था। लेकिन, आज दर्शक व्यक्तिगत अनुभवों की अधिक अपेक्षा रख रहे हैं, और अपनी अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए, मोबाइल और कनेक्टेड टीवी स्क्रीन पर लॉन्ग-फॉर्म, शार्ट-फॉर्म, लाइव और प्री-रिकार्डेड कंटेंट देखना, जैसे विभिन्न फॉर्मेट्स का उपयोग कर रहे हैं।

71% लोग एक विशेष टॉपिक के बारे में कई अलग-अलग फॉर्मेट्स (जैसे शार्ट फॉर्म, लॉन्ग फॉर्म, पॉडकास्ट, लाइव स्ट्रीम) में वीडियो देखते हैं, जिस कारण कंजप्शन, असीमित और निर्बाध हो गया है। स्रोत: गूगल/आईपीएसओएस, यू ट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023,एन=1828, ऑनलाइन एडल्ट्स, आयु 18-44।

पॉप कल्चर को इस बात से देखा जाता है कि फैंस उन्हें किस प्रकार से अपना बना रहा है

लगभग डेढ़ दशक पहले, ‘वायरल’ ट्रेंड्स एक मोनोलिथिक पॉप कल्चर का प्रतिनिधित्व करते थे, जहां हर कोई एक ही तरह से डिजिटल कल्चर का अनुभव कर रहा था। आज, दर्शक भी शौकिया क्रिएटर्स में बदल गए हैं, जो वीडियो फॉर्मेट्स की बढ़ोतरी, उपयोग में आसान क्रिएटिव टूल्स और स्पेशल इफ़ेक्ट फीचर्स के कारण, आसानी से वीडियो ट्रेंड्स में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और एक अलग दृष्टिकोण जोड़ रहे हैं।

इस पर विचार करें: सर्वे में शामिल 49% लोगों ने जवाब दिया कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में एक मीम में भाग लिया था। (स्रोत: गूगल/इप्सोस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, एन=1828, ऑनलाइन एडल्ट, उम्र 18-44।) इसके परिणामस्वरूप, ट्रेंड्स ने काफी अंदर तक काम किया है, व्यक्ति विशेष द्वारा वायरल चीज़ों को परिभाषित किया जा रहा है, और पॉप कल्चर कुल मिलाकर व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को ही दर्शा रहा है।

फैनडम्स बहुस्तरीय हो गए हैं
फैनडम कई स्तरों में विभाजित होता जा रहा है, जिसमें नई टेक्नोलॉजी और फॉर्मेट्स के विस्तार का काफी योगदान है। यूट्यूब ने पाया कि जहाँ एक तरफ कैज़ुअल फैंस के पास एक फीड हो सकती है, जो उन्हें निष्क्रिय रूप से अपने फैंस से संबंधित अधिक कॉन्टेंट को कंज्यूम करने में मदद करती है, वहीं दूसरी तरफ एक अधिक सक्रिय फैन मीम्स बनाने के लिए शॉर्ट्स का उपयोग कर सकता है, या फिर इसके कॉन्टेंट को रीमिक्स या रिफिंग करके अपने फैंस के साथ बातचीत कर सकता है। सुपर फैंस अन्य फैंस के लिए कॉन्टेंट बना सकते हैं, और प्रोफेशनल फैंस सामान्य दर्शकों के लिए कॉन्टेंट बनाने हेतु अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।

48% जेन ज़ेड सर्वे में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि विगत 12 महीनों में उन्होंने विशिष्ट कॉन्टेंट, आर्टिस्ट्स या हस्तियों के फैंस द्वारा बनाए गए वीडियो देखे हैं। उच्च स्तर के इन फैंस की बढ़ती लोकप्रियता स्पष्ट है। स्रोत: गूगल / इप्सोस, यूट्यूब ट्रेंड्स सर्वे, आईएन, मई 2023, n=603, ऑनलाइन जेन ज़ेड वयस्क, आयु 18-24।

पवन अग्रवाल, डायरेक्टर, म्यूज़िक पार्टनरशिप्स, इंडिया, यूट्यूब, ने कहा, “आज के समय में विविध जरूरतों के चलते दर्शक विभिन्न फॉर्मेट्स में व्यक्तिगत अनुभव चाहते हैं। हर दिन विकसित होती ये प्राथमिकताएँ न सिर्फ मनोरंजन को पुनर्परिभाषित कर रही हैं, बल्कि इन्हें कंज्यूम करने के लिए अधिक सहभागी भी बना रही हैं। यह ट्रेंड्स को तेजी से आगे बढ़ाने में सहायता कर रहा है, जिससे फैंस को बहुस्तरीय बनने और उपसंस्कृतियों को मुख्यधारा बनने में मदद मिल रही है।”

रचनात्मक आंत्रप्रेन्योर्स की एक समानांतर, नई दुनिया को बढ़ावा मिल रहा है
आर्टिस्ट्स और क्रिएटर्स सफल ऑनलाइन और ऑफलाइन बिज़नेस बनाने के लिए यूट्यूब को एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जिसमें वे अगली पीढ़ी की मीडिया कंपनियों को लॉन्च करने से लेकर रचनात्मक करियर स्थापित करने या प्रोडक्ट्स और व्यापारिक वस्तुओं की सीरीज़ बनाने तक का काम करने में सक्षम हैं। जैसे-जैसे अधिक परिष्कृत क्रिएशन टूल्स बड़े स्तर पर रचनात्मकता को बढ़ावा दे रहे हैं, वैसे-वैसे यूट्यूब पर क्रिएटर इकॉनमी नया आकार ले रही है।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के नवीनतम सर्वे से पता चला है कि भारत में, वर्ष 2022 में यूट्यूब से पैसा कमाने वाले 80% क्रिएटर्स इस बात से सहमत हैं कि यूट्यूब न सिर्फ कॉन्टेंट बनाने, बल्कि पैसा कमाने का भी अवसर प्रदान करता है, जो कि ट्रेडिशनल मीडिया से उन्हें नहीं मिलता है।

क्रिएशन की बड़े स्तर पर लोगों के बीच पहुँच और मॉनेटाइज़ेशन के अधिक विकल्पों के माध्यम से पूरे देश में अगली पीढ़ी के क्रिएटर्स के लिए समृद्ध क्रिएटर इकॉनमी में हिस्सा लेने के अवसरों में इजाफा हुआ है।