Saturday, April 20, 2024

जी-20 में आये मेहमानों ने पुणे के विरासत स्थलों को निहारा, पौराणिक महानगर का जाना इतिहास

पुणे, । पौराणिक पुणे महानगर में आयोजित जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने आए विदेशी प्रतिनिधियों ने यहां विरासत स्थलों को निहारा। लाल महल की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने उत्सुकता के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को जाना।

प्रतिनिधियों की यह यात्रा शनिवार वाड़ा से प्रारंभ हुई। शनिवार वाड़ा भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे ज़िले में स्थित एक दुर्ग है, जिनका निर्माण 18वीं सदी में 1746 में किया गया था। शनिवार वाडा की भव्यता, प्रवेश द्वार, विशाल परिसर को प्रतिनिधियों ने अपने मोबाइल फोन में उतारा। यहां के इतिहास के बारे में जानने को उत्सुक उन्होंने गाइडों से सवाल भी पूछे। उसी स्थान पर इलाके के सबसे पुराने बरगद के पेड़ को देखने की जिद्द पर प्रतिनिधियों ने कुछ पल वहां भी बिताए। मेहमान प्रतिनिधियों ने रजिस्टर में लिखा कि शनिवार वाड़ा बेहद खूबसूरत, शानदार और आकर्षक हैं। प्रतिनिधियों ने ऐसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने का अवसर देने के लिए प्रशासन को हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद भी दिया।

लाल महल में अतिथियों के पहुंचने पर वहां पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ स्वागत किया गया। राजमाता जिजाऊ मां साहेब और बाल शिवाजी महाराज की मूर्ति को देखने के बाद उन्होंने इसके पीछे के इतिहास के बारे में भी जाना, तो कुछ ने महल में राजमाता जिजाऊ की मूर्ति को प्रणाम भी किया। उन्होंने महल की तस्वीरें भी अपने मोबाइल में कैद की। यात्रा के अंतिम चरण में प्रतिनिधियों ने नाना वाडा का दौरा किया और उसके इतिहास के बारे में जाना। अजीत आप्टे और संदीप गोडबोले ने अतिथियों को पुणे के इतिहास और विरासत के स्थलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

आगा खान पैलेस की यात्रा

प्रतिनिधियों ने आगा खान पैलेस का दौरा किया और महात्मा गांधी के जीवन के बारे में जाना। उन्होंने गांधी जी के बचपन, कस्तूरबा गांधी के जीवन, गांधीजी के आगा खान पैलेस स्थित आवास के बारे में जानकारी मांगी। नीलम महाजन ने उन्हें इसकी जानकारी दी और महल के ऐतिहासिक महत्व के बारे में भी बताया। इस अवसर पर अतिथियों ने चरखे के बारे में भी जानकारी ली। नगर आयुक्त विक्रम कुमार ने इस अवसर पर अतिथियों का आभार व्यक्त किया, अपर आयुक्त विकास ढाकने, अनुमंडल पदाधिकारी संतोष देशमुख, पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक सुप्रिया करमरकर, धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष चंद्रकांत दलवी आदि भी प्रतिनिधिमंडल के साथ रहे।

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